CAA: अमित शाह ने राहुल पर साधा निशाना, बोले- कानून नहीं पढ़ा तो इटली भाषा में भेज सकता हूं

CAA: अमित शाह ने राहुल पर साधा निशाना, बोले- कानून नहीं पढ़ा तो इटली भाषा में भेज सकता हूं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-03 10:04 GMT
हाईलाइट
  • CAA पर उठाए गए कदम से भाजपा एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी : अमित शाह
  • अमित शाह ने CAA के पक्ष में राजस्थान के जोधपुर में जनसभा की

डिजिटल डेस्क, जोधपुर। संसद द्वारा 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पारित किए जाने के बाद से देशभर में बवाल मचा हुआ है। इस बीच भाजपा के CAA जागरूकता अभियान के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राजस्थान के जोधपुर में जनसभा संबोधित की। इस दौरान अमित शाह ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं पर जमकर निशाना साधा। शाह ने कहा, "राहुल बाबा, अगर कानून पढ़ा है तो इसपर चर्चा करने के लिए आ जाइए। अगर नहीं पढ़ा है तो मैं आपको इटली भाषा में इसका ट्रांसलेशन भेजने के लिए तैयार हूं।"

 

 

कांग्रेस ने CAA का दुष्प्रचार किया
गृह मंत्री अमित शाह बोले, "भाजपा ने देशभर में CAA के समर्थन में जनजागरण अभियान का आयोजन किया है। ये आयोजन क्यों करना पड़ा ? क्योंकि जिस कांग्रेस को वोटबैंक की राजनीति की आदत पड़ गई है, उसने इस कानून पर दुष्प्रचार किया है।" उन्होंने बताया कि "CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई के उन लोगों को नागरिकता देने का कानून है, जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हैं।"

एक कदम भी पीछे नहीं हटेगी भाजपा
जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि "शरणार्थियों पर जो प्रताड़ना हुई हैं, इससे बड़ा मानवाधिकार का उल्लंघन कभी नहीं हुआ। वहां ये शरणार्थी भाई करोड़पति थे और आज उनके पास रहने की जगह नहीं है। वहां उनके पास कई बीघा जमीन थी और यहां उनके पास खाने को कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा कि "विपक्षी CAA के खिलाफ एकजुट हो जाएं, लेकिन भाजपा इस फैसले पर एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी।"

दीदी से डरने की जरूरत नहीं
अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि "दीदी कह रही हैं कि आपकी लाइनें लग जाएंगी, आपसे प्रूफ मांगे जाएंगे। मैं बंगाल में बसे हुए सारे शरणार्थी भाइयों को कहना चाहता हूं कि आपको कोई प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ेगी, आपको सम्मान के साथ नागरिकता दी जाएगी और किसी को भी दीदी से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि "मैं ममता दीदी को कहना चाहता हूं कि बंगाली भाषी शरणार्थी हिंदू, दलितों ने आपका क्या बिगाड़ा है, क्यों इनकी नागरिकता का विरोध कर रही हो?"

देश को गुमराह कर रहे विपक्ष दल
अमित शाह ने बताया कि "कांग्रेस पार्टी गुमराह कर रही है, वो कह रही है कि ये कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करेगा। किसी भी धर्म को हमने बाकी नहीं रखा है, इन 3 देशों जो माइनोरिटी है चाहे वो हिन्दू हो, सिख हो, जैन, बौद्ध, पारसी या ईसाई हो इन सभी को हम नागरिकता दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि "विपक्ष के लोग देश को गुमराह कर रहे हैं कि इससे भारत के मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी, लेकिन मैं आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये क़ानून नागरिकता देने का है, किसी की नागरिकता छीनने का नहीं।"

अशोक गहलोत पर हमला
जनसभा के दौरान अमित शाह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि "अशोक साहब ! हमने कुछ नया नहीं किया है। आपके घोषणा पत्र के एक प्वाइंट पर अमल किया है और आप विरोध कर रहे हो। ये सब बाद में कर लीजिए, कोटा में जो बच्चे हर रोज मर रहे हैं, उसकी चिंता कर लीजिए, माताओं की हाय लगेगी और दिल्ली के दरबार में ज्यादा मत झुकिए।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो शरणार्थी अत्याचार झेलकर भारत आए हैं उनके संपत्ति और रोजगार छीन लिए गए। उनका परिवार तक छिन गया, और उनके लिए विपक्षी कहते हैं कि इन्हें नागरिकता नहीं दी जाए। मैं कहना चाहता हूं कि उन देशों से जो शरणार्थी आए हैं वो भारत के ही हैं। उन्होंने बताया कि "इन लोगों को शरण देने का महात्मा गांधी जी का वादा था, क्या वो सांप्रदायिक थे? जवाहरलाल नेहरू ने भी संसद में कहा था कि जो हिन्दू या सिख आये हैं , हम उन्हें नागरिकता देंगे, क्या वो सांप्रदायिक थे?"

अमित शाह ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी वोट बैंक के डर से हिम्मत नहीं कर पाई, लेकिन 56 इंच की छाती वाले नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि ये जो लाखों करोड़ों शरणार्थी आएं हैं, इनके मानवाधिकार और सम्मान की रक्षा मैं करूंगा।" उन्होंने कहा कि "ये नरेन्द्र मोदी का शासन है, किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। बेशुमार अत्याचार के बाद जो यहां आये हैं, मोदी जी की सरकार आप सभी को नागरिकता देकर भारतीय होने का गौरव प्रदान करने जा रही है।"

अमित शाह ने कहा कि "नेहरू-लियाकत समझौते में दोनों देशों के अल्पसंख्यकों के संरक्षण का भरोसा दिया गया था। हमारे यहां अल्पसंख्यक भाई-बहनों को सम्मान से रखा गया, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 23 प्रतिशत से 3 प्रतिशत पर आ गए। अब हम नेहरू-लियाकत समझौते पर अमल करेंगे।"

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