जोधपुर के पूर्व शासक बोले, सरकार को विरासत की इमारतें खाली कर देनी चाहिए
राजस्थान जोधपुर के पूर्व शासक बोले, सरकार को विरासत की इमारतें खाली कर देनी चाहिए
डिजिटल डेस्क, जयपुर। जोधपुर के शासक रहे गज सिंह ने कहा है कि सरकारी कार्यालयों, स्कूलों के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं विरासत संपत्तियों को खाली कर दिया जाना चाहिए और विरासत पर्यटन को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में सिंह ने कहा, सरकार के पास मौजूद सभी विरासत संपत्तियों को खाली कर दिया जाना चाहिए और विरासत पर्यटन के लिए उपयोग करने के लिए एकीकृत किया जाना चाहिए।
शुरुआत में, जब राज्यों का विलय हुआ, तो सरकारों के पास कोई सुविधा नहीं थी और इसलिए उन्होंने इन संपत्तियों का उपयोग किया। अब, सरकारें विकसित हो गई हैं और उनके पास धन है, वे सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती हैं और विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन इमारतों को एकीकृत कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि कई विरासत भवनों का उपयोग स्कूलों और कार्यालयों के रूप में किया गया है। वास्तव में वे दोनों के लिए अपर्याप्त हैं और ऐसे उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं, जबकि इमारतों को नष्ट किया जा रहा है, क्योंकि यह उनके लिए सिर्फ एक जगह है, वे स्कूलों और कार्यालय के उद्देश्य के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं। वहां फ्रेस्को पेंटिंग का क्या उपयोग है? इसलिए, उन्हें विरासत पर्यटन के लिए इस्तेमाल किया जाए।
राजस्थान में इन संपत्तियों को नजुल संपत्ति कहा जाता है। उन्होंने कहा कि रियासत के विलय के समय उन्होंने कोई दावा नहीं किया था और राज्य सरकार का साथ दिया, लेकिन सरकार ने जो इमारत किसी विभाग को नहीं दिया है, वह उन्हें वापस कर दिया जाना चाहिए। गज सिंह ने कहा, महामारी के बाद हमने एक नया बाजार बनते देखा है, विदेश यात्रा करने वाले घरेलू पर्यटक अब इन विरासत स्थलों के साथ-साथ उनसे जुड़े इतिहास और कहानियों को भी जानना चाहते हैं। इसलिए हम अपने अनुभव को कहानियों का रूप देना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों, ग्रामीणों के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे इस उद्यम में हितधारक हैं। उनकी सहभागिता से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें आजीविका भी मिलेगी। अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि जयपुर आयुक्तालय एक विरासत संपत्ति है, जो कभी होटल था, लेकिन बाद में जयपुर शाही परिवार ने उस पर कब्जा कर लिया। फिर यह एमएलए छात्रावास बन गया, बहुत बाद में यह पर्यटन विभाग बन गया और आरटीडीसी कार्यालय भी यहां शिफ्ट किया गया। खासा कोठी भी एक विरासत संपत्ति है, जिसमें सरकारी कार्यालय है और यातायात पुलिस कार्यालय भी जयपुर में विरासती इमारत में चलाया जा रहा है।
(आईएएनएस)
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