मां बनने की चाह में महिला ने अपनी जान खतरे में डाल दी

दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मां बनने की चाह में महिला ने अपनी जान खतरे में डाल दी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-28 14:58 GMT
मां बनने की चाह में महिला ने अपनी जान खतरे में डाल दी

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। मां बनना हर महिला का सपना होता है। अपने अंदर नौ महीने तक एक नन्हीं सी जिंदगी का पालन बहुत ही अलग और जादुई अहसास है। इसी चाह में एक महिला ने अपनी जान तक की परवाह नहीं की। महिला जिस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी, उसमें उसकी जान तक जा सकती थी लेकिन अपनी जान को जोखिम में डालकर इस महिला ने एक बेटे को जन्म देकर मां बनने का सपना आखिरकार पूरा कर लिया। 

बता दें कि भाईंदर निवासी 28 वर्षीय शीतल शाह (बदला हुआ नाम) अपनी पहली गर्भावस्था को लेकर उत्साहित थी। लेकिन उनकी यह खुशी अधिक समय तक नहीं रहीं क्योंकि गर्भावस्था के 3 महीने में ही उन्हें ताकायसु आर्टेराइटिस नामक एक दुर्लभ बीमारी होने का पता चल गया। इसके चलते महिला को गर्भावस्था को जारी न रखने की सलाह दी गई क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा था। इसके बावजूद महिला ने किसी की एक नहीं सुनी और अपने मां बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी। 

वॉकहार्ट अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राजश्री तायशेटे भसाले ने बताया कि महिला जिस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी, उसमें शरीर को रक्त को आपूर्ति करनेवाली मुख्य धमनियां प्रभावित होती हैं जिसकी वजह से पूरी शरीर में खून की सप्लाई सही नहीं हो रही थी जिसमें गर्भवती महिलाओं की जान को अधिक जोखिम था। उन्होंने बताया कि महिला के दाएं हाथ में ब्लड प्रेशर अलग बता रहा था और बाएं हाथ में अलग। इतना ही नहीं उसके  पैरों की नाडियां तक नहीं मिल रही थीं। इसे हम नाड़ीविहीन विकार भी कहते हैं। 

उन्होंने बताया कि उचित परामर्श के बाद कार्डिएक एनेस्थीसिया के साथ डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई। इसके बाद सिजेरियन के जरिए महिला की डिलिवरी कराई गई। महिला ने 2.4 किलोग्राम के बच्चे को जन्म दिया। सर्जरी के बाद की अवधि में, रोगी की आईसीयू में निगरानी की गई। डॉक्टर ने बताया कि अभी बच्चा और जच्चा दोनों स्वस्थ हैं। 

चुनौतीभरी रही सिजेरियन डिलिवरी

डॉ. मयूरेश प्रधान ने कहा कि इस महिला की सिजेरियन डिलिवरी काफी चुनौतीभरी थी। इस मामले में ऐनेस्थीसिया चुनौतीपूर्ण होता है। बच्चे के जन्म के बाद ऐसे रोगी की ह्रदय गति रुक सकती है। सर्जरी ठीक रही और अब रोगी को महाधमनी के संकुचन के उपचार की आवश्यकता होगी जिसे चिकित्सकीय भाषा में ‘कोआरक्टेशन ऑफ़ एओर्टा’ कहा जाता है।
 

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