कैसे कराए इलाज: 30 बिस्तर अस्पताल में नही है आधुनिक उपकरण
बालाघाट कैसे कराए इलाज: 30 बिस्तर अस्पताल में नही है आधुनिक उपकरण
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। परसवाड़ा मुख्यालय क के तीस बिस्तर अस्पताल में आधुनिक उपकरण का अभाव बना है। इलाज के लिए आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीणजनो को आज भी जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ रहा है। इस अस्पताल में कहने को चार चिकित्सक तो है लेकिन उपकरण के अभाव में वे इलाल नही कर पाते है। ग्रामीणजनों का कहना रहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा में आधुनिक उपकरणों की मांग कई मर्तबा की गई है, लेकिन अब तक किसी प्रकार के सकारात्मक कदम नही उठाए गए है। अब वर्षो पुरानी मशीन से ही एक्सरे किया जा रहा है,जबकि डिजीटल एक्सरे मशीन का अभाव है। यहां पर पदस्थ बीएमओ को परसवाड़ा के साथ-साथ बैहर का प्रभार सौंपा गया है, वहीं एक चिकित्सको को लामटा का प्रभार सौपा गया है ऐसी स्थिति में समय समय-बे समय चिकित्सको की कमी महसूस होती है।
स्टाफ की कमी
ग्रामीणों का कहना रहा कि स्टाफ की भारी कमी के चलते यहां पर कार्य ठीक तरह से नहीं हो पा रहा वर्तमान में चार चिकित्सक हैं जिनमे से दो चिकित्सक को दोहरा प्रभार है। यहां पर केवल 4 स्टाफ नर्स हैं जिनमें तीन दिन में और एक रात्रि में सेवा देते हैं केवल तीन प्युन है, वार्ड बॉय के नाम पर केवल दो ही लोग हैं। स्टाफ की भारी कमी के चलते यहां का कार्य उचित समय पर नहीं हो पाता जिससे कि यहां पर ग्रामीणों में शासन के विरुद्ध आक्रोश है।
नहीं है टेक्नीशियन
इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान समय में एक भी टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं है, लैब टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, ऑफ्थेलमिक असिस्टेंट, नेत्र सहायक नही है, जिसके चलते यहां पर टेस्ट नहीं हो पाते एवं कुछ हुये तो भी रिपोर्ट उपलब्ध हो पाने में समय लगता है जिससे यहां समय पर इलाज नही हो पाता है।
एंबुलेंस का अभाव
अस्पताल में एंबुलेंस का ना होना सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। वर्तमान समय में परसवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है तात्कालिक इलाज कराने हेतु जिला अस्पताल जाने के लिए भी प्राइवेट चौपहिया वाहन किराए पर लेकर यहां के लोगों को जाने हेतु मजबूर होना पड़ता है कभी-कभी तो जननी एक्सप्रेस 108 का ही उपयोग इमरजेंसी में किया जाता है ताकि समय पर उचित उपचार हो सके।
बढ़ते कुपोषण पर काबू पाने नही है पोषण पुनर्वास केंद्र
इधर दूसरी तरफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोषण पुनर्वास केंद्र नहीं है जिससे यहां के सैकड़ो ग्रामों के ग्रामीणो को बैहर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र पर आश्रित होना पड़ रहा है। यहां कुपोषण से बचाव के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र का होना आवश्यक है जिसका निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। इस प्रकार वर्तमान समय में भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे चिकित्सक, स्टॉफ एवं टेक्नीशियन की लंबे समय से कमी बनी हुई है। इस संबंध में विभागीय तौर पर संपर्क किया गया तो संपर्क नही हो सका।