होशंगाबाद: जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगें आए - राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

होशंगाबाद: जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगें आए - राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-30 08:29 GMT
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डिजिटल डेस्क, होशंगाबाद। होशंगाबाद राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगें आए। कृषि विश्वविद्यालय किसानो को जैविक बीज खाद और कीटनाशक उपलब्ध कराने की कार्ययोजना पर अमल करें। उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक आदानो की आपूर्ति की आवश्यकता का संकलन किया जाए। उसके अनुसार आगामी दो-तीन वर्षो में आपूर्ति की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से कहा कि उन्नत जैविक खाद्यान्न, खाद और कीटनाशकों का उत्पादन किसानों के खेतो पर कराए ताकि आसपास के अन्य किसान भी जैविक उत्पादन के लिए प्रेरित हो। श्रीमती पटेल आज पवारखेड़ा होशंगाबाद में आयोजित जैविक उन्नत कृषि कार्यक्रम में किसानो को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर मंत्री किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री कमल पटेल भी मौजूद थे। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि रसायनिक खादों के उपयोग से होने वाले उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि यदि आंकड़े लिए जाए तो कैंसर से मरने वालों की संख्या किसी अन्य संक्रमण से होने वाली मौतो से अधिक होगी। उन्होंनें कहा कि विकास के लिए एकीकृत दृष्टि के साथ प्रयास किये जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गोबर से जैविक खाद, कीटनाशक और पोषक तत्वों का सफल उत्पादन गुजरात में हो रहा है। उत्तर प्रदेश में भी 10 हजार गायों के गोबर से जैविक उत्पादों के उत्पादन की परियोजना शुरू हुई है। उन्होंने विकास के लिए खाकों में नहीं एकीकृत प्रयासों की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि गाँवो के समग्र विकास की सोच के साथ कार्य किया जाए तो अनेक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। उन्होंने कुपोषण की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसान थोड़ी सी सब्जी आँगनबाड़ी और मध्यान्ह भोजन में देने लगे तो बच्चो को पौष्टिक भोजन मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए महिलाओं, बेटियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। क्योकि स्वस्थ्य माँ से स्वस्थ्य बच्चे का जन्म होगा। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके आर्थिक स्वावलंबन पर विशेष बल दिया और कहा कि महिला स्व-स्हायता समूह इसका सफल तरीका है। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कार्यक्रम स्थल पर जैविक कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, कृषको से संवाद कर, उन्हें उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर विक्रय के लिए प्रेरित किया। जैविक उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बजाय अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर विक्रय के लिए प्रोत्साहित किया। मंत्री किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नही, अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर फसल बेचने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक उत्पादक किसान बहुत थे, मगर खरीददार व्यापारी थोड़े से होने के कारण फसल का सही मूल्य नही मिल पाता था। अब किसान स्वयं अपने उत्पादन को बेचने में सक्षम हो गया है। वह खाद्यान्न उत्पादक संघ बनाकर अधिकतम खुदरा मूल्य प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना से आजादी के 70 सालों के बाद किसानों को आबादी की जमीन का अधिकार मिल रहा है। अब वह भी अपनी संपत्ति के आधार पर बैंको से ऋण लेकर अपना व्यवसाय खड़ा कर सकता है। श्री पटेल ने कहा कि रसायनिक आदानों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी जहरीली हो गई है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी उसी का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि भूमि के उपचार की जरूरत है। इसलिए सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में कार्यालयीन समय में भूमि उपचार के लिए बहिरंग व्यवस्था (ओपीडी) चलाई जायेगी। कृषि वैज्ञानिक गाँवो में जाकर चौपाल लगाकर किसानों को परामर्श देंगे, इसके लिए टोल फ्री हैल्प लाइन भी संचालित की जाएगी। उन्होंने कहा कि जैविक खेती भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य का आधार है। कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पीके बिसेन ने बताया कि पंवारखेड़ा कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना वर्ष 1903 में हुई है। इस अवधि में केन्द्र द्वारा 53 उन्नत गेहूं की किस्मों का आविष्कार किया है। उन्होंने किसानों से नरवाई नही जलाने की अपील करते हुए कहा कि केन्द्र से बायो डाइजेस्टर प्राप्त कर नरवाई को 15 दिनों में जैविक खाद में बदला जा सकता है।

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