नर्मदापुरम: इटारसी के तवा डैम को मिला रामसर साइट का दर्जा, इलाका प्रवासी पक्षियों के लिए है नेस्टिंग साइट
- तवा जलाशय का निर्माण तवा और देनवा नदियों के संगम पर किया गया
- मालानी, सोनभद्र और नागद्वारी नदियां इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं
- कई स्थानीय और प्रवासी पक्षियों, विशेषकर पेंटेड स्टार्क पक्षी के लिए एक महत्वपूर्ण नेस्टिंग साइट भी है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नर्मदापुरम जिले में स्थित तवा जलाशय को रामसर साइट का दर्जा प्राप्त हुआ है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को इसकी जानकारी दी कि तवा जलाशय को रामसर कन्वेंशन, 1971 के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में जनवरी 8 को नामित किया गया है। तवा जलाशय का निर्माण तवा और देनवा नदियों के संगम पर किया गया है और मालानी, सोनभद्र और नागद्वारी नदियां इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। यह जलाशय इटारसी के पास है
जलाशय मुख्य रूप से सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था, बाद में इसका उपयोग बिजली उत्पादन और जलीय कृषि के लिए भी किया जा रहा है। तवा जलाशय का कुल डूब क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है और कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है। मध्य प्रदेश का यह सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है, जो पारिस्थितिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और वानिकी की दृष्टि से कई अनूठी विशेषताओं से संपन्न है।
तवा जलाशय सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा बनाता है। जलाशय जलीय वनस्पतियों और जीवों, खासकर पक्षियों और जंगली पशुओं के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ पौधों, सरीसृपों और कीटों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं। जलाशय का बैकवाटर कई स्थानीय और प्रवासी पक्षियों, विशेषकर पेंटेड स्टार्क पक्षी के लिए एक महत्वपूर्ण नेस्टिंग साइट भी है।
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उल्लेखनीय है कि रामसर साइट्स अंतरराष्ट्रीय महत्व की वो आर्द्रभूमियां हैं जिन्हें दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार या जैविक विविधता के संरक्षण में उनके महत्व के लिए अधिसूचित किया जाता है। मध्यप्रदेश में अब तक चार साइट्स रामसर आद्रभूमि के रूप में नामित हैं-भोज वेटलैंड, यशवंत सागर झील, सिरपुर झील तथा साख्या सागर झील।