होशंगाबाद: दर्शन को 'मोदी' और संजय को अपने 'वादो' पर भरोसा

  • भाजपा के सामने बड़ी चुनौती 2019 के जीत के साढ़े पांच लाख से अधिक के अंतर को संभाल कर रखना
  • होशंगाबाद (नर्मदापुरम) लोकसभा सीट (3 जिलों की 8 विधानसभा सीटें)
  • भाजपा प्रत्याशी के लिए इस तरह किया जा रहा प्रचार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-05 11:51 GMT

होशंगाबाद और नरसिंहपुर से लौटकर। कपिल श्रीवास्तव।  नर्मदा पट्टी की होशंगाबाद संसदीय सीट पर फिलहाल राजनीतिक माहौल सरगर्म नहीं है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों (कांग्रेस तथा भाजपा) में अभी बैठकों का दौर चल रहा है।

ससंसदीय क्षेत्र के सिवनी मालवा, नर्मदापुरम, सोहागपुर तथा पिपरिया (होशंगाबाद), गाडरवारा, नरसिंहपुर तथा तेंदूखेड़ा (नरसिंहपुर) और रायसेन जिले के उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा तथा कांग्रेस प्रत्याशी पार्टी कार्यकर्ताओं सहित जनाधार वाले पंच, सरपंच, जनपद व जिला पंचायत सदस्यों आदि के साथ बैठकें कर रहे हैं और आगे की रणनीति बना रहे हैं।

भाजपा प्रत्याशी दर्शन सिंह चौधरी (किसान नेता-नया चेहरा) चूंकि मूलत: नर्मदापुरम के बनखेड़ी-पिपरिया के हैं लिहाजा नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा तथा गाडरवारा में इनके दौरे ज्यादा हो रहे हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी संजय शर्मा (पूर्व विधायक) का पूरा जोर नर्मदा के उस पार के पिपरिया, सोहागपुर, नर्मदापुरम तथा सिवनी मालवा पर है। उदयपुरा पर दोनों की समान रूप से नजर है।

बावजूद इसके न तो अभी पोस्टर, बैनर नजर आ रहे हैं, न ही प्रचार वाहन। नरसिंहपुर की सीमा से नर्मदपुरम तक के करीब 200 किलोमीटर में केवल एक जगह पिपरिया में भाजपा प्रत्याशी का मात्र एक प्रचार वाहन और यहीं शहर के अंदर एक स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी के बैनर, होर्डिंग्स लगे दिखे।

आम आदमी भी इन चुनावों में दिलचस्पी लेता नहीं दिख रहा। वजह, इस किसान बहुल संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशी अभी मतदाताओं तक नहीं पहुंचे हैं। दूसरे किसानों व ग्रामीणों का गेहूं और धान की एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइज) बढ़ाने जैसे पुराने वादों से भरोसा उठ चुका है।

कमोबेश कांग्रेस के संजय शर्मा का मुख्य चुनावी मुद्दा ही एमएसपी और इसके लिए कानून बनाना है। भाजपा के दर्शन सिंह को अपनी पार्टी , उसके कार्यकर्ताओं और प्रधानमंत्री मोदी और उनकी योजनाओं पर भरोसा है।

नर्मदापुरम में 2 दिन से बढ़ीं समानांतर गतिविधियां

बाबाओं और बाबुओं के शहर नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में 2 दिन से राजनीतिक गतिविधियां बढ़ी हैं। बुधवार को कांग्रेस के संजय शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा आदि की मौजूदगी में अपना नामांकन दाखिल किया।

इस दौरान करीब 7 हजार कार्यकर्ता मौजूद रहे। करीब-करीब इतने ही संख्याबल के साथ गुरूवार को भाजपा प्रत्याशी दर्शन सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा आदि की मौजूदगी में नामांकन दाखिल किया।

चुनौतियां भी समान

संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों पर काबिज भाजपा के सामने बड़ी चुनौती 2019 के जीत के साढ़े पांच लाख से अधिक के अंतर को संभाल कर रखना, और इस बड़े अंतर को पाटते हुए अपने लिए जीत के लिए वोट जुटाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

वह भी उस स्थिति में जबकि पिछले तीन संसदीय चुनावों से कांग्रेस को मिलने वाले वोट 3 लाख 40 हजार से ज्यादा कभी नहीं हुए। इसके मुकाबले भाजपा ने 2019 में 2014 की तुलना में 2 लाख से अधिक रिकॉर्ड 8,77,927 वोट हासिल किए थे।

हर सवाल का एक ही जवाब ‘मोदी’

मैं समाजसेवा के लिए राजनीति में आया हूंं। किसानों व जनता से जुड़ा रहा हूं। उनकी हर जरूरत के लिए लड़ा, संघर्ष किया। देश की जनता को प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा है। लिहाजा वह अपना वोट मुझे देगी। मैं नहीं समझता कि कोई चुनौती है।

आज पूरे देश का वातावरण ‘मोदीमय’ है। नया मतदाता ही नहीं दूसरे दलों के लोग भी प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित होकर भाजपा में आ रहे हैं। राम मंदिर और धारा 370 ने भी लोगों का भाजपा पर विश्वास बढ़ाया है।

मोदी के विकास के मॉडल को देखिए। महिलाओं, युवाओं, किसानों हर एक के हितों की चिंता की है। अधोसंरचना और औद्योगिक विकास की बात करें या फिर रोजगार, स्वरोजगार की प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन सबके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा पर भी बड़ा काम किया है। यह काम सतत चलते रहे, यही मेरा एजेंडा है।

- दर्शन सिंह चौधरी (भाजपा प्रत्याशी)


किसान हित में कानून बने, इस पर रहेगा जोर

विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री मोदी सहित भाजपा के हर बड़े नेता ने कहा बहुत कुछ पर किया क्या, सामने है। पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किए जाने के बावजूद क्या धान का एमएसपी 3100 और गेहूं का एमएसपी 2700 रुपये हुआ।? कांग्रेस की सरकार बनने पर यह तो होगा ही, चुनाव जीतने के बाद मेरा एक ही एजेंडा रहेगा कि किसानों के हितार्थ कानून बने।

प्राकृतिक आपदा आदि की स्थिति में उन्हें सौ फीसद नुकसानी मिले। संसदीय क्षेत्र के जिन इलाकों में पानी नहीं है, वहां सिंचाई के लिए पानी पहुंचे। क्षेत्र में ऐसी अधोसंरचना तैयार कराएंगे जिससे हमारे इलाके का सीधे आर्थिक राजधानी इन्दौर से जुड़ाव हो सके।


चुनौती तो एक ही है हमारे सामने वह है ‘ईवीएम’। इसे लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है। दूसरी चुनौती भाजपा सरकारों की डरा-धमका कर चुप बैठाने की रणनीति है। हम दोनों का डट कर मुकाबला करेंगे।

- संजय शर्मा (कांग्रेस प्रत्याशी)

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