एचआईवी पीड़ित हैं मेंटल हेल्थ के शिकार, 10 फीसदी मरीज मानसिक रोग से ग्रसित
संवाद एचआईवी पीड़ित हैं मेंटल हेल्थ के शिकार, 10 फीसदी मरीज मानसिक रोग से ग्रसित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एचआईवी से संक्रमित लोग मानसिक बीमारी के भी शिकार हो रहे हैं। मरीजों में इस बीमारी का पता "संवाद' के माध्यम से चला है। मुंबई एड्स डिस्ट्रिक्ट कंट्रोल सोसाइटी (एमडीएसीएस) के अनुसार एचआईवी पीड़ितों में से 10.8 प्रतिशत मरीज मानसिक रोग के भी शिकार हैं। बता दें कि आज के प्रतिस्पर्धी जीवन में लोगों के पास काम का बोझ, करियर तनाव, बीमारियां, वित्तीय और रिश्तों के मुद्दे कहीं न कहीं उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहेे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोग तनाव, चिंता और कभी-कभी अवसाद के शिकार हो जाते हैं। लोगों में बढ़ती मानसिक बीमारी को देखते हुए, एमडीएसीएस ने एचआईवी संक्रमितों में मानसिक स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वर्ष 2021 में मानसिक स्वास्थ्य सत्र "संवाद' प्रारंभ किया था। "दैनिक भास्कर' से बातचीत करते हुए एमडीएसीएस के अपर परियोजना निदेशक डॉ. विजय करंजकर ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो इसका असर उसके इलाज पर भी होते कई बार देखा गया है। इस मानसिक रोग के चलते वे बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं या दवा लेने में कोताही बरतते हैं।
9,497 पीड़ितों की हुई जांच
डॉ. करंजकर ने बताया कि इलाज के लिए एचआईवी पीड़ित शहर भर में 20 एआरटी केंद्रों में आते हैं। यहां "संवाद' के माध्यम से हमने एचआईवी संक्रमितों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के शुरुआती संकेतों की पहचान की है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई इस पहल के माध्यम से हमारे काउंसलर ने 9,497 पीड़ितों की जांच की, जिनमें से 1,033 (10.8%) में मानसिक रोग के लक्षण पाए गए। उन्होंने बताया कि काउंसलर इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों की पहचान कैसे करें और उनसे कैसे निपटें? हमने पाया कि सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं चिंता, तनाव और अवसाद संबंधी विकार हैं। एआरटी केंद्रों में हमारे काउंसलरों ने लोगों को मानसिक बीमारी से उबरने के लिए परामर्श देना शुरू किया और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक विभाग की रेफरल सेवा भी की जाती है।
36,000 पीड़ितों से होगा संवाद
अब एमडीएसीएस अपने संवाद सत्र के माध्यम से पूरे मुंबई में एचआईवी से पीड़ित लगभग 36,000 लोगों तक पहुंचेगी। डॉ. विजय ने बताया कि पायलट सत्र में हमने 9,000 से अधिक लोगों की जांच की और हमें अच्छा प्रतिसाद भी मिला है। इसलिए अब हम 36,000 पीड़ितों के साथ संवाद करना जारी रखेंगे। हमारा उद्देश्य है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे एचआईवी उपचार में बाधा न बनें।
सिर्फ बीमारी ही मुद्दा नहीं है
काउंसलर से संवाद के दौरान इन पीड़ितों में मानसिक रोग के पीछे सिर्फ बीमारी ही एकमात्र मुद्दा नहीं था। बीमारी के साथ-साथ वित्तीय, रिश्ते आदि जैसे कई मुद्दे इनके मानसिक रोग के कारण हैं। डॉ. विजय ने बताया कि हमारा उद्देश्य यह है कि एचआईवी पीड़ित मानसिक रूप से भी फिट रहें। पीएलएचआईवी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। आर्थिक बोझ, रिश्तों के मुद्दों आदि जैसे कई कारण हैं।