गोटमार मेला: प्रशासन नहीं रोक पाया परंपरा का सैलाब, जमकर हुई पत्थरबाजी, 400 से अधिक घायल
पत्थरबाजी का खेल देखने पहुंचे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के लोग ,जिला कलेक्टर, एसपी ने सम्हाली व्यवस्था की कमान गोटमार मेला: प्रशासन नहीं रोक पाया परंपरा का सैलाब, जमकर हुई पत्थरबाजी, 400 से अधिक घायल
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । ऐतिहासिक गोटमार मेले में प्रशासन की पाबंदियां वर्षों से चली आ रही पुरानी परंपरा निभाने से नहीं रोक पाई। जोश और उत्साह के साथ खिलाड़ी मैदान में उतरे और तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दोनों पक्षों में जमकर पत्थरबाजी हुई। शाम तक ४०० से अधिक लोग घायल हुए हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों में ३८ लोग घायल हुए हैं। वहीं दस से अधिक लोगों को गंभीर चोटों के चलते छिंदवाड़ा, नागपुर और वरूड़ उपचार के लिए ले जाना पड़ा। शाम सवा छह बजे झंडा टूटते ही मेला समाप्त हुआ।
जानकारी अनुसार मंगलवार को जाम नदी पर पांढुर्ना और सावरगांव के सं
गम पर परंपरागत गोटमार मेला आयोजित हुआ। पत्थरबाजी की इस अनूठी परंपरा को सांकेतिक रुप देने के लिए प्रशासन के सारे प्रयास विफल रहे। धारा १४४ के बीच सुबह ८ बजे से पत्थरबाजी का दौर शुरु हुआ था। दिन भर घायलों को मेडिकल कैम्प में पहुंचाने का सिलसिला जारी रहा। शाम सवा पांच बजे प्रशासन ने मध्यस्थता करते हुए झंडे को पांढुर्ना की ओर खींच लिया था। लेकिन दोनों पक्ष पत्थरबाजी पर अड़े रहे। आखिरकार दोनों पक्षों की शांति समिति की मध्यस्थता से पत्थरबाजी रोकी गई। सावरगांव पक्ष ने पांढुर्ना को झंडा सौंपा। पांढुर्ना पक्ष ने सवा छह बजे झंडे को मां चंडिका के मंदिर में अर्पित कर गोटमार मेले का समापन किया।
दिनभर मेडिकल कंैपों में पहुंचते रहे घायल
गोटमार मेले में सुबह नौ बजे से ही पत्थरबाजी शुरू हो गई थी।
पत्थरबाजी में खिलाड़ी घायल होते रहे। घायलों के प्राथमिक उपचार के लिए पांढुर्ना की ओर गुजरी चौक में हनुमान मंदिर और सामुदायिक भवन एवं सावरगांव की ओर राजेन्द्र प्राथमिक स्कूल और हनुमान मंदिर में अलग-अलग चार राहत कंैप लगाए गए, जबकि सरकारी अस्पताल में मेगा राहत कंप लगा रहा, जिसमें मेले के दौरान दिनभर घायल उपचार कराने पहुंचते रहे। घायलों को तत्काल मेडिकल सुविधा प्रदान करने के लिए सरकारी अस्पताल और राहत कैंपों में दस से अधिक एंबुलेंस तैयार रही।
अधिकारियों की बनी रही पैनी नजर
गोटमार मेले के दौरान जिला कलेक्टर सौरभ सुमन, एसपी विवेक अग्रवाल के अलावा जिले के कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने दूरबीन, ड्रोन कैमरे के अलावा मेलास्थल के आसपास की गलियों और सड़क पर गश्त करते हुए गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखी। मेले में सुरक्षा को लेकर एक हजार से अधिक पुलिस बल और अन्य विभागों का अमला तैनात रहा।