राजस्थान की रेत में फलदार जैतून देख आकर्षित हुए दूसरे राज्य के किसान
राजस्थान की रेत में फलदार जैतून देख आकर्षित हुए दूसरे राज्य के किसान
डिजिटल डेस्क, जयपुर । राजस्थान की रेतीली भूमि में हरे-भरे फलदार जैतून की फसल देखकर अब दूसरे राज्यों के किसान भी इस ओर आकर्षित होने लगे हैं। राजस्थान के पूर्व कृषि मंत्री और प्रदेश में जैतून व खजूर की खेती की परियोजना के अगुवा प्रभुलाल सैनी ने बताया कि गुजरात, मध्यप्रदेश समेत 13 राज्यों के किसान राजस्थान से जैतून के पौधे ले गए हैं, यही नहीं नेपाल के लोगों ने भी जैतून के पौधे मंगवाए हैं।
उन्होंने कहा, राजस्थान में विगत एक दशक में जैतून की खेती का रकबा बढ़कर 5,000 हेक्टेयर से ज्यादा हो चुका है, जिसमें से 240 हेक्टेयर सरकारी उद्यान के तहत है, बाकी क्षेत्र में किसानों ने निजी तौर पर जैतून की खेती की है। राजस्थान में इजरायल के सहयोग से 2007 में जैतून की खेती की परियोजना शुरू की गई थी। प्रदेश में जैतून और खजूर की खेती को बढ़ावा देने वाले पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने बताया, 2007 में हमने जैतून के 1.21 लाख पौधे इजरायल से मंगवाए थे। लेकिन अब पौधे यहीं तैयार होते हैं और इसकी मांग दूसरे राज्यों से भी की जा रही है। हमने नेपाल को भी जैतून के पौधे मुहैया करवाए हैं।
जैतून शांति का प्रतीक है और इसका तेल सेहत के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है और यह महंगा भी है। राजस्थान के गंगानगर के किसान और ऑलिव ग्रोअर वेल्फेयर ऑगेर्नाइजेशन के सेक्रेटरी दीपक सहारण ने आईएएनएस को बताया उनके पास इस समय 450 किलो जैतून का तेल है जिसकी कीमत 1,000 रुपये प्रति लीटर दी जा रही है, लेकिन उन्होंने अभी बेचने का मन नहीं बनाया है।
दीपक ने 15 हेक्टेयर में जैतून लगाए हैं, जिनसे पहली बार उनको इस साल करीब 8,000-9,000 फल मिले जिनकी पेराई के बाद उनको 450 किलो तेल प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया, हमने 2013 में पहले चरण में 10 हेक्टेयर और दूसरे चरण में पांच हेक्टेयर जैतून के पौधे लगाए थे, जिनमें से पहली बार इस साल फल मिले हैं और आगे अब हर साल फल मिलेंगे।
लागत और आमदनी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अभी हम आय और लागत की तुलना नहीं कर रहे हैं क्योंकि जैतून के पेड़ से 100 साल तक फल मिलते हैं और अभी यह शुरुआत ही है।
उन्होंने बताया कि इस बार फल से सिर्फ सात फीसदी तेल की रिकवरी आई है लेकिन अगले साल से इसमें वृद्धि हो सकती है।
प्रभुलाल सैनी ने बताया कि जैतून से तेल ही नहीं इसकी पत्ती का उपयोग चाय के रूप में होता है जो किसानों के लिए आमदनी का एक जरिया है। उन्होंने कहा कि जैतून शांति के साथ-साथ सुख और समृद्धि का प्रतीक भी है।
राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, जालौर समेत कई इलाकों में अब जैतून की खेती होने लगी है। इसकी पेराई के लिए प्लांट बीकानेर में लगाए गए हैं। यह प्लांट राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड यानी आरओसीएल द्वारा लगवाया गया है। आरओसीएल प्रदेश सरकार के सहयोग से गठित एक संगठन है जिसमें राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, फिनोलेक्स प्लासन इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड और पुणे एंड इंडोलिव लिमिटेड ऑफ इजरायल की समान साझेदारी है।