पेंच में सूखने की कगार पर नाले और छोटे तालाब
सिवनी पेंच में सूखने की कगार पर नाले और छोटे तालाब
डिजिटल डेस्क ,सिवनी ।पेंच टाइगर रिजर्व में गर्मी के दिनों में वन्यजीवों के सामने पानी का सकंट खड़ा हो सकता है। पेंच में अभी से ही कई जलस्रोत सूख गए हैं तो कई सूखने की कगार पर हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी में दिक्कतें हो सकती हैं। हालांकि पेंच प्रबंधन का दावा है कि सोलर वाटर सिस्टम और टेंकर की व्यवस्था है ऐसे में पानी की समस्या नहीं हो सकती। गर्मी के दिनों में पानी के लिए वन्यजीव अक्सर भटकते हैं और ऐसे में उनका शिकार हो जाता है या वे कई हादसे का शिकार हो जाते हैं। पेंच की सालाना पयटकों से आय करीब ढाई से तीन करोड़ की होती है।
ये है स्थिति
जानकारी के अनुसार पेंच के कोर एरिया में करीब १९ तालाब हैं। जिसमें से तो सात तालाब में पानी कम है। इसके अलावा १२ सोलर पैनल हैं। कुछ में तो पानी कम होने लगा है। मई जून के माह में वाटर लेबल कम होने से इसमें से पानी कम आता है। पेंच में पानी के लिए एक टैंकर है। पेंच में एक मात्र पानी का बड़ा स्रोत पेंच नदी है।अधिकारियों के अनुसार टेंकर की मदद से बनाए गए वाटर होल में पानी डाला जाता है ताकि वन्यजीवों को पानी मिल सके।
तालाबों का गहरीकरण नहीं
पेंच रिजर्व में कई पुराने तालाब हैं लेकिन उनका गहरीकरण नहीं किया गया। जबकि हर साल गर्मी में पानी की समस्या बनती है। जबकि तालाब केवल वन्यजीवों के लिए बनाए गए हैं। इसके अलावा स्टाप डेम का भी सुधार कार्य नहीं हो रहा। ठंड के अंतिम समय में भी कई नालों में पानी कम होने लगा है। रैयाकस्सा, प्यारथडी के अलावा कर्माझिरी में ऐसे हालात देखे जा सकते हैं।
सबसे ज्यादा चीतल
पेंच में शाकाहारी और मांसाहारी वन्यजीवों की संख्या भी अधिक है। इसमें से चीतल की संख्या करीब ५२ हजार के करीब है। इसके अलावा लंगूर, जंगली सूकर, सियार, मोर के अलावा बाघ, तेंदुआ और जंगली भैंसे भी अधिक हैं। पेंच में पानी की तलाश में सबसे ज्यादा चीतल भटकते हैं। ऐसे में कुओं में गिरने से मौत या फिर सड़क हादसे में उनकी मौत की घटनाएं गर्मी के दिनों में सामने आती है।