कटे होंठ फटे तालू के बच्चों को मिला उपहार, अब सामान्य बच्चों की तरह दिख सकेंगे
कटे होंठ फटे तालू के बच्चों को मिला उपहार, अब सामान्य बच्चों की तरह दिख सकेंगे
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। अब कटे होंठ, फटे तालू के बच्चे सामान्य बच्चों की तरह दिख सकेंगे। इन बच्चों के माता पिता के चेहरों में खुशी झलक रही है। इनकी खुशी को बरकरार रखने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं जिला शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप केन्द्र में दी जाती है। जिससे कि पीड़ित बच्चे निरोगी हो सके। इसी उद्देश्य से कलेक्टर दीपक आर्य के निर्देशन व सीएमएचओ डॉ. मनोज पांडे, सिविल सर्जन डॉ. एके जैन, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. परेश उपलव, डीपीएम डॉ. शैलेश डेहरिया, जिला अर्ली इंटरवेशन मैनेजर राजाराम चक्रवर्ती के मार्गदर्शन में आरबीएसके अंतर्गत जिला शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप केन्द्र जिला चिकित्सालय बालाघाट में कटे होंठ, फटे तालू के बच्चों का नि:शुल्क जांच व उपचार शिविर आयोजित किया गया। शिविर में वरिष्ठ समाजसेवक ज्ञानचंद चौपड़ा, आरबीएसके टीम बालाघाट, डीईआईसी टीम, दुबे सर्जिकल एवं डेंटल हॉस्पिटल जबलपुर से डॉ. पवन ठाकुर, प्रबंधक सुशील पटेल, सहायक सूरज बर्मन, श्री राजेश मौजूद रहे। शिविर 11 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित किया गया। कटे होंठ, फटे तालू के बच्चों के लिए आयोजित नि:शुल्क शिविर में आरबीएसके चिकित्सक द्वारा इन बच्चों को चिन्हित किया गया। जिसके बाद आयोजित शिविर में जिला शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप केन्द्र जिला चिकित्सालय बालाघाट में कटे होंठ, फटे तालू के बच्चों का जांच परीक्षण डॉ. पवन ठाकुर द्वारा किया गया। जिसमें इन बच्चों की जांच परीक्षण के बाद 22 बच्चों को सर्जरी के लिए चयनित किया गया। इनका उपचार दुबे सर्जिकल एवं डेंटल हॉस्पिटल जबलपुर में नि:शुल्क किया जाएगा। चयनित बच्चों को जबलपुर से आए डॉक्टर जांच परीक्षण के बाद अपने साथ जबलपुर उपचार के लिए ले गए। इस दौरान बच्चों के परिजनों में खुशी देखी गई। परिजनों ने कहा कि आरबीएसके टीम द्वारा आयोजित नि:शुल्क शिविर ने बच्चों को उपहार दिया है। अब बच्चे सामान्य बच्चों की तरह दिख सकेंगे। दिया जाता है नि:शुल्क उपचार जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. परेश उपलव ने बताया कि कुछ नवजात शिशुओं में जन्मजात विकार हो जाते है। उनमें से अधिकांश विकार ठीक हो सकते है, यदि उनका समय पर उपचार और चिकित्सा सेवा का लाभ मिल जाए लेकिन ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्रों में जागरूकता के आभाव के कारण बच्चो में आए विकार को पहचान नहीं पाते और आगे चलकर ऐसे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से विकृत हो जाते है। इसके लिये सरकार द्वारा हर जिले में ब्लाक स्तर पर मोबाइल हेल्थ टीम आरबीएसके का गठन किया गया है जो बच्चों को चयनित कर इनका स्वास्थ्य परीक्षण करते है। इसके बाद डीईआईसी के माध्यम से इन बच्चो को संबन्धित विभाग से नि:शुल्क उपचार दिलाया जाता है। आपरेशन के लिए 22 बच्चे हुए चयनित डीईआईसी में आयोजित शिविर में 22 बच्चों को सर्जरी के लिए चयनित किया गया। जिन्हे चिन्हित कर डॉ. पवन ठाकुर और उनके स्टाफ द्वारा अपने साथ दुबे सर्जिकल एवं डेंटल हॉस्पिटल जबलपुर ले जाया गया है। चयनित बच्चों में नेहा कावरे 8 माह, लक्षिता नागेश्वर 4 माह, आर्यन 4 माह, आरोही, साजन 4 माह, मेघा 5 माह, शिवा 5 माह, अर्श कुमार 2 साल 6 माह, मानव 02 माह, अयान कुरैशी 5 माह, रियांशी 8 माह, यसमित धुर्वे 1 साल 6 माह, विकल्प वासनिक 24 माह, लोचन 6 माह, ललिता 2 साल 6 माह, पृथ्वी 9 माह, विशु ठाकरे 3 माह, सोनम 3 साल, ऋषभ 6 माह, दीपक 14 माह, श्रेयांश 2 माह, खुशी 6 माह को सर्जरी के लिए जबलपुर रवाना किया गया है। जहां इन बच्चों का नि:शुल्क उपचार किया जाएगा।