हाईकोर्ट में बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए 2.15 लाख पेड़ काटने को चुनौती

हाईकोर्ट में बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए 2.15 लाख पेड़ काटने को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-17 16:21 GMT

 



डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए लगभग 2.15 लाख पेड़ काटने की अनुमति को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। मामले की अगली सुनवाई 21 जून को निर्धारित की गई है।
यह है मामला-
हाथीताल जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप सिंह सैनी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने बक्सवाहा जंगल में 382 हेक्टेयर वन भूमि 50 साल के लिए हीरा खदान के लिए आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग कंपनी को लीज पर दी है। हीरा खदान के लिए बक्सवाहा के जंगल में लगभग 2.15 लाख पेड़ काटे जाने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने से पर्यावरण को ऐसा नुकसान होगा, जिसकी भरपाई संभव नहीं होगी। इससे जंगल में रहने वाले पशु और पक्षियों को भी नुकसान होगा, वहाँ की जैव विविधता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही बक्सवाहा के जंगल में रहने वाले लगभग 8 हजार आदिवासी भी बेदखल हो जाएँगे।
ऑक्सीजन से कीमती नहीं है हीरा-
मामले में स्वयं पैरवी करते हुए अधिवक्ता श्री सैनी ने कहा कि कोरोना काल में यह साबित हो चुका है कि हीरे की कीमत ऑक्सीजन से ज्यादा नहीं हैं। कोरोना काल में हजारों लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। ऐसे में हीरा खदान के लिए पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने डिवीजन बैंच से अनुरोध किया कि बक्सवाहा के जंगल में पेड़ काटने की अनुमति पर तत्काल रोक लगाई जाए। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन और राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली उपस्थित हुए।

 

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