सांघी में रैम्प बना कर अवरुद्ध किया नदी का प्रवाह, पानी के बीच मशीनें उतार कर किया खनन
रेत ठेका कंपनी विस्टा की हिमाकत सांघी में रैम्प बना कर अवरुद्ध किया नदी का प्रवाह, पानी के बीच मशीनें उतार कर किया खनन
डिजिटल डेस्क,कटनी। जिले की 49 रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाली विस्टा सेल्स (प्रा) लि. की हिमाकत का नजारा महानदी की सांघी रेत खदान पर दिखा। यहां नियम ताक पर रखते हुए मुंबई की इस कंपनी द्वारा न सिर्फ अवैध रूप से रैम्प बनाया गया, बल्कि उसके सहारे महानदी का प्रवाह भी अवरूद्ध किया गया। नदी में बनाए गए अवैध रैम्प के सहारे नदी के बीचों-बीच तक पोकलेन तथा जेसीबी ले जा कर पानी के अंदर से रेत भी निकाली गई। यह सिलसिला अक्टूबर महीने से लगातार चल रहा था। महानदी का प्रवाह अवरूद्ध किए जाने से समीपी दो दर्जन ग्रामों के लोगों को आने वाले समय में पानी की चिंता सताने लगी।
कई बार के निवेदन तथा शिकायती आवेदन दिए जाने के बाद भी जब खनिज विभाग कार्रवाई करने नहीं आया तो इन गांवों के बाशिंदे सडक़ पर उतर आए। धरना-प्रदर्शन किया और मर जाएंगे पर नदी के अंदर मशीनें नहीं ले जाने देंगे के नारों के साथ जब ये सामने आ डटे तो डैमेज कंट्रोल के लिए खनिज विभाग के अफसरों को अन्य सहयोगी महकमों के कर्मचारियों के साथ खदान क्षेत्र में उतरना पड़ा। इनके द्वारा संभवत: पहली बार रेत ठेका कंपनी विस्टा के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई करते हुए नदी में बनाए गए अवैध रैम्प को जमींदोज किया गया। इस कार्रवाई की पुष्टि विभागीय अधिकारियों ने करते हुए संकेत दिए हैं कि मुहिम के रूप में सभी रेत खदानों की जांच करते हुए, नियमों की अवहेलना तथा अवैध उत्खनन, भंडारण व परिवहन के मामले सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी।
जांच हो तो खुलेंगे कई राज
जिला प्रशासन अपनी टीम माइनिंग के साथ अवैध उत्खनन, भंडारण तथा परिवहन पर रोक लगाने बनी टास्क फोर्स से रेत खदानों की जांच कराये तो कई न सिर्फ जिले में हुए रेत के अवैध खनन बल्कि रेत ठेका कंपनी विस्टा से जुड़े कई राज खुलेंगे। बड़वारा तहसील की इमलिया तथा लुहरवारा और बरही तहसील की सूरजपुरा तथा गोधनकाप रेत खदान का ही पिछले ढाई साल का हिसाब-किताब कलेक्टर अपने पास मंगवा लें तो संभवत: प्रदेश का सबसे बड़ा अवैध रेत उत्खनन का मामला उनके सामने आ जाएगा। यह वे रेत खदानें हैं जहां रेत की खातिर विस्टा सेल्स द्वारा लगभग सभी नियम तोड़े गए। यही नहीं अवैध उत्खनन कर, शासन को करोड़ों रूपए की राजस्व क्षति भी पहुंचाई गई।