बालाघाट: दो कौवों में मिला बर्ड फ्लू का वायरस, बॉर्डर पर पक्षियों की स्क्रीनिंग, सैंपल लेने के निर्देश

बालाघाट: दो कौवों में मिला बर्ड फ्लू का वायरस, बॉर्डर पर पक्षियों की स्क्रीनिंग, सैंपल लेने के निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-18 17:21 GMT
बालाघाट: दो कौवों में मिला बर्ड फ्लू का वायरस, बॉर्डर पर पक्षियों की स्क्रीनिंग, सैंपल लेने के निर्देश


 डिजिटल डेस्क  बालाघाट।  जिले में पूर्व में मिले मृत दो कौवों की रिपोर्ट में बर्ड फ्लू का वायरस पाया गया है। दोनों कौवे बिरसा तहसील के ग्राम टिंगीपुर में 11 जनवरी को मृत पाए गए थे, जहां एक साथ 52 कौवों के मरने से आसपास हड़कंप मच गया था।    इस संबंध में जिले में बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए सोमवार 18 जनवरी को कलेक्टर दीपक आर्य की अध्यक्षता में विभाग के अधिकारियों की बैठक रखी गई। इसमें डॉ. पीके अतुलकर, उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं ने बताया गया कि टिंगीपुर में 52 कौओं मृत पाए गए थे। उनमें से रेंडमली दो कौओं के सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित पुश रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भेजे गए थे। जांच में दो कौओं में बर्ड फ्लू का वायरस पाया गया है, लेकिन जिले की मुर्गियों और पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं पाए गए हैं। जिले में अब तक पक्षियों से मनुष्य में बर्ड फ्लू के संक्रमण का कोई प्रकरण नहीं पाया गया है।
दूसरे जिलों के पक्षियों की होगी जांच-  
बैठक में कलेक्टर दीपक आर्य ने कहा कि बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए जिले में हर सावधानियां और एहतियात बरतने की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिले में व्यवसाय के लिए अन्य जिलों से लाए जाने वाले पक्षियों की जांच की जाए। इसके लिए राजनांदगांव, गोंदिया एवं भंडारा जिले के सीमावर्ती नाकों पर पक्षियों की जांच शुरू की जाए। नाकों पर बाहर से लाए जाने वाले पक्षियों की स्क्रीनिंग की जाए और संदिग्ध मिलने पर उनके सैंपल लिए जाएं। नाकों पर पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारी तैनात रहें और अन्य जिलों से लाए जाने वाले पक्षियों पर निगरानी रखें। कलेक्टर दीपक आर्य ने नगरीय क्षेत्रों में भी सुअरों के घूमने पर रोक लगाने के निर्देश दिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज पांडेय को निर्देशित किया गया कि बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए जरूरी दवाओं का इंतजाम किया जाए।
मृत पक्षियों को न छूने के निर्देश-
बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वन क्षेत्र में मिलने वाले मृत पक्षियों को न छुएं। ऐसी स्थिति में मृत पक्षियों को जलाने या गहरे गड्ढे में दफानने की बात कही गई। इस मौके पर उप संचालक मत्स्योद्योग श्रीमती शशिप्रभा धुर्वे, सहायक संचालक पशु चिकित्सा डॉ. उमा परते, डॉ. योगेंद्र घोड़ेश्वर, मुख्य नगर पालिका अधिकारी सतीश मटसनिया और वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

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