देवास जिले में ऑनलाईन स्थायी एवं निरंतर लोक अदालत में 66 प्रकरण निराकृत
देवास जिले में ऑनलाईन स्थायी एवं निरंतर लोक अदालत में 66 प्रकरण निराकृत
डिजिटल डेस्क, देवास। देवास जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्री शमरोज खान ने बताया कि म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार श्री योगेश कुमार गुप्ता जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में जिले में तकनीक का अभिनव प्रयोग कर ’’ऑनलाईन स्थायी एवं निरंतर लोक अदालत’’ आयोजित की गई। ऑनलाईन स्थायी एवं निरंतर लोक अदालत में समझौता योग्य आपराधिक, सिविल, पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा अधिनियम, भरण-पोषण मामले, विद्युत चोरी प्रकरण, चैक बाउन्स, बैंक रिकवरी, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, आदि विषयक प्रकरणों का निराकरण किया गया। सचिव श्री शमरोज खान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवास ने बताया गया कि ऑनलाईन स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत में सिविल, आपराधिक, विद्युत अधिनियम, एनआईएक्ट, चैक बाउन्स, पारिवारिक विवाद, मोटर दुर्घटना दावा, आदि विषयक प्रकरणों के निराकरण हेतु जिला मुख्यालय देवास एवं तहसील स्तर पर सोनकच्छ, कन्नौद, खातेगांव, टोंकखुर्द एवं बागली में 12 न्यायिक खंडपीठों का गठन किया गया। ऑनलाईन स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत में संपूर्ण जिले में न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में से 525 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गए। जिनमें से आपसी सुलह समझौते और राजीनामा द्वारा लंबित प्रकरणों में से 64,28,511 रुपये के 66 लंबित प्रकरण प्रकरण निराकृत किए गए। ऑनलाईन स्थायी एवं निरंतर लोक अदालत में ये प्रकरण हुए निराकृत ऑनलाईन स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत में संपूर्ण जिले में लंबित नियमित प्रकरणों में 22 आपराधिक प्रकरण, 4 चैक बाउन्स के, 15 मोटर दुर्घटना दावा के, 5 वैवाहिक विवाद के, 1 घरेलू हिंसा का, 2 सिविल के, 15 विद्युत के प्रकरण तथा 2 विविध प्रकरण निराकृत हुए। निराकृत 15 मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों में 37,55,500 रुपये के अवार्ड आपसी समझौते के आधार पर पारित किए गए। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट चैक बाउन्स के 4 प्रकरण निराकृत हुए जिनमें 13,21,775 रूपये के चैकों की राषि में सेटलमेंट किया गया। परिवार न्यायालय में पारिवारिक विवाद के 7 मामलों में हुआ राजीनामा श्री एम.एस.ए. अन्सारी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय के विशेष प्रयासों से लाॅकडाउन एवं न्यायालय में नियमित सुनवाई नहीं होने की दशा में भी सात ऑनलाईन सुनवाई के माध्यम से निराकृत हुए। पारिवारिक विवाद के दो मामलों में पति-पत्नी ने न्यायलय के समक्ष एक दूसरे को हार पहनाए तथा राजीखुशी से एक दूसरे के साथ रहने हेतु सहमत होकर अपने प्रकरणों में राजीनामा किया।