अधिकार और नियम-कायदों के बीच उलझे महिला के शव का 30 घंटे बाद हो पाया पीएम
शहडोल अधिकार और नियम-कायदों के बीच उलझे महिला के शव का 30 घंटे बाद हो पाया पीएम
डिजिटल डेस्क,शहडोल। संभागीय मुख्यालय में दो-दो बड़े शासकीय चिकित्सालय होने के बावजूद एक महिला के शव को पोस्टमार्टम होने में 30 घंटे से अधिक का समय लग गया। जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज के अपने-अपने अधिकारों और नियम कायदों के दावों के कारण पोस्टमार्टम में अनावश्यक देरी हुई। इसमें पुलिस को भी उलझकर रह जाना पड़ा।
गौरतलब है कि कोतवाली क्षेत्रांतर्गत शहडोल के एमबीईबी कालोनी के पास की निवासी 38 वर्षीय महिला की लाश ग्राम सिंदुरी में 17 जनवरी की सुबह पाई गई। आवश्यक कार्यवाही के बाद पुलिस पोस्टमार्टम के लिए शव जिला चिकित्सालय ले गए। महिला की संदिग्ध मौत को देखते हुए पुलिस ने पोस्टमार्टम का कार्य डॉक्टरों की टीम से कराने की मंशा जताई। सिविल सर्जन ने दो डॉक्टरों की टीम बनाई। जब वे पोस्टमार्टम करने पहुंचे तो मामला संदिग्ध होने पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट की राय जरूरी बताया। फारेंसिंग एक्सपर्ट मेडिकल कॉलेज में हैं, लिहाजा वहां रेफर कर दिया। पुलिस शव लेकर शाम मेडिकल कॉलेज पहुंच गई। वहां बताया गया कि शव यहां क्यों रेफर किया गया। यहां तो सोहागपुर थाना व उसके हिस्से में जो थाने हैं वहां का पोस्टमार्टम होता है।
मामला चूंकि कोतवाली का है इसलिए जिला अस्पताल में पीएम होना चाहिए। इसके बाद पुलिस परेशान हो उठी। क्योंकि एक आदेश मिला जिसमें उल्लेख था कि यदि फारेंंसिक राय चाहिए तो जिला चिकित्सालय के संबंधित डॉक्टर भी होने चाहिए। बात कलेक्टर तक पहुंची, जिन्होंने सिविल सर्जन से बात की। इसके बाद टीम मेडिकल कॉलेज पहुंची, जिनकी मौजूदगी में 18 जनवरी की शाम 5 बजे शव का पोस्टमार्टम हो पाया। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार ने बताया उन्हें सारी जानकारी बाद में पता चली, नहीं तो समय रहते यह काम हो जाता। वहीं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. नागेंद्र सिंह के अनुसार उन्हें भी घटनाक्रम की जानकारी बाद में मिली। अधिकारी चाहें जो तर्क दें लेकिन शव को पोस्टमार्टम के लिए 30 घंटे का इंतजार करना पड़ा।
आज हो सकता है खुलासा
महिला की मौत मामले का खुलासा पुलिस गुरुवार को कर सकती है। बताया गया है कि कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। शंका है कि महिला से ज्यादती के बाद हत्या की गई है।