2 लाख 66 हजार मेट्रिक टन खरीफ उपज का उपार्जन 56 हजार 156 किसानों ने लिया समर्थन मूल्य का लाभ

2 लाख 66 हजार मेट्रिक टन खरीफ उपज का उपार्जन 56 हजार 156 किसानों ने लिया समर्थन मूल्य का लाभ

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-28 09:29 GMT
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डिजिटल डेस्क, देवास। प्रदेश में 1099 खरीदी केन्द्रों पर 56 हजार 156 किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल का उपार्जन किया गया। खाद्य मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर 2 लाख 66 हजार 436 मेट्रिक टन खरीफ उपज का उपार्जन किया गया। इसमें 56 हजार 156 किसानों ने समर्थन मूल्य का लाभ लिया। 56 हजार 156 किसान हुए लाभान्वित संचालक खाद्य श्री तरूण कुमार पिथौड़े ने बताया कि इसमें 998 उपार्जन केन्द्रों पर 29,202 किसानों से एक लाख 25 हजार 357 मेट्रिक टन धान तथा 101 उपार्जन केन्द्रों पर 24 हजार चार किसानों से एक लाख 25 हजार 599 मे.टन बाजरा तथा दो हजार 952 किसानों से 15 हजार 480 मे.टन ज्वार का उपार्जन किया गया। ई -उपार्जन पोर्टल से पंजीकृत किसानों से खरीदी संचालक खाद्य ने बताया कि खरीफ विपणन का ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से किया जा रहा है जिसके अंतर्गत धान के लिये 7 लाख 24 हजार 955, ज्वार के लिए 14 हजार 293 एवं बाजरे के लिए 41 हजार 535 इस प्रकार कुल 7 लाख 81 हजार 783 किसानों का ई-पंजीयन किया गया। राज्य शासन द्वारा खरीफ फसल में धान का 1868 रूपये, ज्वार का 2620 रूपये एवं बाजरे का 2150 रूपये समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। उपज विक्रय के लिये 15 दिन का समय श्री पिथौडे ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान एवं मोटा अनाज उपार्जन के लिये किसानों को एसएमएस के माध्यम से दी गई। एसएमएस में उल्लेखित दिनांक को उपज की तौल का प्रावधान किया गया है। किसानों को प्रेषित एसएमएस में विक्रय की उल्लेखित दिनांक से किसान 15 दिन में अपनी उपज का विक्रय कर सकेंगे। उपार्जन की अंतिम तिथि संचालक खाद्य ने बताया कि ग्वालियर एवं चंबल संभाग में धान का उपार्जन 21 दिसंबर 2020 तक एवं शेष संभागों में 16 जनवरी 2021 तक उपार्जन किया जाएगा। इसके अलावा मोटे अनाज के रूप में ज्वारा एवं बाजरा का उपार्जन 5 दिसंबर 2020 एवं शेष संभागों में 16 दिसंबर 2020 तक किया जाएगा। श्री पिथोड़े ने बताया कि विगत वर्ष प्रदेश में 4 लाख 29 हजार 197 किसानों से 25.85 लाख मेट्रिक टन धान एवं एक हजार 332 किसानों से 5469 मेट्रिक टन ज्वार का उपार्जन किया गया था।

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