पांच साल में १८ वन्यजीव सड़क हादसे का शिकार
सिवनी पांच साल में १८ वन्यजीव सड़क हादसे का शिकार
डिजिटल डेस्क , सिवनी जंगलों में इंसानी दखल के अलावा पानी और शिकार की तलाश में वन्यजीव सड़कों पर आने लगे हैं। जिल मेें पिछले पांच सालों में अब तक १८ वन्यजीवों की मौत सड़क हादसों के कारण हुई है। इसमें से एक तेंदुआ दो साल पहले जबकि हाल ही में डेढ़ साल का बाघ सड़क हादसे का शिकार हुआ है। खास बात यह है कि सभी मामलों में अभी भी अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत होना दर्शाया गया है। अब तक एक भी वाहन और आरोपी का पता नहीं चल पाया है।
ये है स्थिति
जानकारी के अनुसार पेंच के खवासा एरिया में नेशनल हाईवे पर २ मार्च २०२० को एक साल के नर तेंदुए की मौत अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई। इस साल २९ मार्च को डेढ साल का बाघ बटवानी गांव के पास भी सड़क हादसे में मारा गया। उत्तर सामान्य वन मंडल में १० साल में अब तक छह वन्यजीव अपनी जान गंवा चुके हैं। गनेशगंज के पास २०१२ में, बंजारी में २०२० को और छपारा के पास झिलिमिली में २०२० को चीतल की मौत हुई है। जबकि छपारा कला और सादकसिवनी व छपारा बायपास में एक एक जंगली सूकर मृत हुए हैं। यही हाल दक्षिण सामान्य वन मंडल का है जहां पांच साल में छह चार चीतल और दो जंगली सूकर सड़क हादसे का शिकार हुए हैं। वन विकास निगम में तीन साल में चार वन्यजीव सड़क हादसे में मृत हुए हैं।
नहीं बने कहीं भी ब्रेकर
वन्यजीवों के सबसे ज्यादा विचरण वाले क्षेत्रों से होकर गई सड़कों में कहीं भी ब्रेकर नहीं है। इसके अलावा न तो बेरीकेट्स लगाए गए। केवल विभागीय तौर पर सूचना बोर्ड लगाए गए हैं। नेशनल हाईवे ४४ स्थित मोहगांव से खवासा तक २९ किमी की फोरलेन में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए काम किए गए हैं। ओवर ब्रिड और एनिमल अंडरपास बनाए गए है। हालांकि पूर्व में ब्रिज के उपर बाघ, तंदुए और नीलगाय आने की घटनाएं हो चुकी हैं।
पानी की तलाश में भटकते वन्यजीव
जो वन्यजीव सड़क हादसे में मृत हुए हैं वह समय गर्मी के मौसम का रहा है। वन विभाग का भी कहना है कि पानी की तलाश में वन्यजीव जंगल से गांव की ओर चले आते हैं। हालांकि ऐसे में उनके साथ शिकार या अन्य प्रकार के हादसे भी हो जाते हैं। ऐसे में गर्मी के दिनों में गश्त बढ़ाई जाती है। सबसे ज्यादा संवेदनशील पेंच का बफर और दक्षिण सामान्य वन मंडल का एरिया है।
इनका कहना है
जंगलों में पानी के लिए सोसर बनाए गए हैं। साथ ही टेंकरों से पानी की सप्लाई की जाती है। सड़कों पर वन्यजीव न आए इसके लिए भी जंगल में सुरक्षा के कदम उठाए जाते हैं।
वीएस मेश्राम, संभागीय प्रबंधक, वन विकास निगम
जहां जहां वन्यजीवों का मूवमेंट अधिक है उस क्षेत्र की सड़कों में छोटे ब्रेकर या अन्य प्रबंध किए जाएंगे। जंगलों में पानी के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
----डीएफओ उत्तर और दक्षिण वन मंडल, सिवनी