कोविड आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन की कमी से 16 की मौत, संख्या दबाने परिजनों को सौंपे शव

कोविड आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन की कमी से 16 की मौत, संख्या दबाने परिजनों को सौंपे शव

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-18 12:11 GMT
कोविड आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन की कमी से 16 की मौत, संख्या दबाने परिजनों को सौंपे शव

डिजिटल डेस्क शहडोल। शहडोल मेडिकल कॉलेज में बड़ी लापरवाही सामने आई है। सोमवार तड़के ऑक्सीजन की कमी से आईसीयू में भर्ती एक दर्जन से अधिक मरीजों मौत हो गई। ये सभी हाईफ्लो ऑक्सीजन पर थे और अचानक ऑक्सीजन बंद होने से इनकी हालत बिगड़ गई। देखते ही देखते मरीजों की सांसें थमने लगीं। आईसीयू के बाहर मौजूद कुछ मरीजों के परिजनों का कहना है कि 16 लोगों की मौत हुई हैं। वहीं कॉलेज प्रबंधन ने सिर्फ छह मौतों की पुष्टि की है। साथ ही सफाई दी है कि मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई हैं, मरीज क्रिटिकल थे।
जानकारी के अनुसार तड़के करीब 3 बजे से ऑक्सीजन का प्रेशर कम होना शुरू हुआ था और 4 बजे तक स्थिति खराब हो गई। आईसीयू में जो मरीज हाईफ्लो ऑक्सीजन पर थे, उनकी हालत बिगडऩे लगी। आनन-फानन में वरिष्ठ चिकित्सकों को बुलाया गया। हॉस्पिटल मेें मौजूद जंबो सिलेंडर को लगाते हुए ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया। जिला चिकित्सालय से सिलेंडर मंगवाए गए। इस बीच अफरा-तरफी मच गई और मरीज की सांसें थमने लगी। सभी मौतें तड़के चार बजे से पांच बजे की बीच हुई हैं। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान 15 मौतें आईसीयू में, जबकि एक मौत दूसरे वार्ड में हुई है। तड़के कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह व अन्य अधिकारी भी मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। वहीं दोपहर बाद करीब 4 बजे जिले के कोविड प्रभारी मंत्री बिसाहू लाल सिंह हालात का जायजा लेने मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
शाम से ही कम था ऑक्सीजन -
मेडिकल कॉलेज में 10 हजार किलो लीटर (केएलडी) का ऑक्सीजन प्लांट लगा है। यहां से सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम के माध्यम से बेड तक ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। आईसीयू के सभी बेड और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले अधिकतर बेड में इसी के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचता है। रविवार को आईसीयू में कुल 62 मरीज भर्ती थी, जबकि ऑक्सीजन पर करीब 100 मरीज थे। रविवार को प्लांट में 400 किलोलीटर ऑक्सीजन ही बचा था। रात में पता चल चुका था कि लिक्विड ऑक्सीजन लेकर आने वाली गाड़ी नहीं आ पाएगी। इसके बाद भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई गई। आईसीयू में तड़के करीब 3 बजे से ही ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने लगा था। तब तक प्लांट में 150 किलोलीटर ऑक्सीजन ही बचा था। इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन तत्काल कोई व्यवस्था नहीं की गई। तड़के करीब 4 बजे ऑक्सीजन का प्रेशर एक दम से कम हो गया और अफरा-तफरी मच गई।  
छह मौतों की कर रहे पुष्टि-
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद शिरालकर ने ऑक्सीजन की कमी का कारण लिक्विड ऑक्सीजन के वाहन का न आना बताया है। उनका कहना है कि पहले सूचना वाहन के शाम तक आने की थी। इसके बाद कहा गया रात तक आएगा। बाद में पता चला वाहन रात में नहीं आएगा।  इसके चलते समस्या हो गई। उन्होंने बताया कि फिर भी जंबो सिलेंडर के माध्यम से व्यवस्था बना ली गई थी। ऑक्सीजन खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने छह लोगों की मौत की पुष्टि की है, लेकिन यह भी कहा है कि इनकी मौत ऑक्सीजन की वजह से नहीं हुई है। उनका तर्क था कि अगर ऑक्सीजन की वजह से मौत होती तो आईसीयू में 62 मरीज थे, सभी की मौत हो जाती। उन्होंने मृतकों के नाम भी बताने से इनकार कर दिए। कुछ मृतकों के शवों को प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार करवाने के बजाय परिजनों को सौंपे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं पता लगवाते हैं।

 

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