नागपुर: मेडिकल चौक से मरीज को भीतर पहुंचने में लग रहे 15 से 30 मिनट, जानिए क्या है कारण

  • अतिक्रमणकारियों का इतना कब्जा कि आसानी से नहीं पहुंच पाते मरीज
  • राष्ट्रपति के आगमन से पहले हुआ था सफाया
  • अब स्थिति पहले से भी बदहाल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-30 10:41 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में पहुंचना काफी मुश्किल भरा हो चुका है। मेडिकल चौक से ओपीडी, ट्रामा केयर सेंटर, आपात विभागों में पहुंचने में मरीजों को 20 से 30 मिनट लग रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण मेडिकल चौक से मेडिकल तक जानेवाले सारे रास्ते अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। जबकि यहां से कुछ ही दूरी पर महानगर पालिका का धंतोली जोन कार्यालय है। वहीं मेडिकल चौक व आसपास में यातायात पुलिस के वाहन व कर्मचारी दिखाई देते हैं। बावजूद यहां अतिक्रमण व यातायात की बदहाली का नजारा देखने मिलता है। इन कारणों आपातकाल के मरीज समय पर मेडिकल में नहीं पहुंच पाते। ऐसे में उनकी जान खतरे में आ जाती है। कुछ महीने पहले मेडिकल के अमृत महोत्सव में शामिल होने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आई थी। इससे पहले यहां के अतिक्रमण व यातायात व्यवस्था में सुधार किया गया था। अब हालात पहले से अधिक बिगड़ चुके हैं।

एंबुलेंस व अन्य वाहनों की आवाजाही हुई मुश्किल

मेडिकल चौक शहर के बड़े चौराहों में एक है। इस चौक से छह बड़े रास्ते खुलते हैं। इनमें क्रीड़ा चौक रोड, हनुमान नगर रोड-आरटीएम कैंसर हॉस्पिटल, अजनी रोड, बैद्यनाथ चौक-बस स्टैंड रोड, रामबाग रोड, ऊंटखाना रोड, अजनी रोड शामिल हैं। सभी रास्ते अति व्यस्ततम होते हैं। इसके अलावा इन रास्तों के आसपास बस्तियां, मॉल, बस स्टैंड, दुकानें, बैंक,अस्पताल समेत कई तरह की सामग्रियों की दुकानें है। छोटी-बड़ी व्यवसायिक व निवासी इमारतों के अलावा बड़ी फ्लैट स्कीमें भी हैं। इस कारण यहां दिनभर भारी यातायात होता है। इन छह रास्तों से ही मेडिकल में मरीजों को आना-जाना करना पड़ता है। मरीजों को एंबुलेंस, दोपहिया वाहन या अन्य वाहनों से उपचार के लिए आना पड़ता है। हर रोज मेडिकल की ओपीडी में 2200 से अधिक मरीज जांच व उपचार के लिए आते हैं। इसके अलावा आपात स्थिति के 100 से अधिक मरीजों को लाना-ले जाना करना पड़ता है। 200 से अधिक मरीजों को डिस्चार्ज के बाद इन्हीं रास्तों से घर जाना होता है। लेकिन अब मेडिकल चौक से मेडिकल के भीतर तक जानेवाले रास्ते, आसपास का बाहरी परिसर आवाजाही के लायक ही नहीं हैं।

आपातस्थिति में लाए जानेवाले मरीजों को खतरा

मेडिकल का वर्तमान मुख्य द्वार, मेडिकल चौक व आसपास के परिसर को अतिक्रमणकारियों ने घेर लिया है। यहां कहीं भी वाहनों का खड़े रहना, ऑटो, ई-रिक्शा, ठेलेवाले, अन्य सामग्री बेचनेवालों का कब्जा हो गया है। जिसकी जहां मर्जी होती है, वह अतिक्रमण कर लेता है। मेडिकल पहुंचने वाले मुख्य द्वार के सामने व रास्ते पर तो इतना अतिक्रमण हो चुका है कि चौक से मेडिकल की ओपीडी तक पहुंचने में मरीजों को 15 से 30 मिनट लगते हैं। एंबुलेंस को आसानी से रास्ता नहीं मिल पाता। सामान्य मरीजों हो तो जैसे-तैसे पहुंच जाता है।  आपात स्थिति के मरीजों, दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को पहुंचने में समय लगने से उनकी जान खतरे में आ जाती है।

हाल ही में मेयो के बीपीएमटी के एक छात्र को मेयो अस्पताल से मेडिकल में रेफर किया गया था। मेयो में उपचार नहीं होने से उसे मेडिकल भेजा गया। मेयो से मेडिकल पहुंचने में विलंब हुआ। समय पर उपचार नहीं मिलने से उस छात्र की मौत होने का आरोप लगाया गया। ऐसी स्थिति मेडिकल मुख्य द्वार के अतिक्रमण और बिगड़ी यातायात व्यवस्था के चलते कभी भी बन सकती है। इसलिए सरकारी अस्पताल परिसर के आसपास यातायात व्यवस्था सुनियोजित व अतिक्रमणकारियों को नियंत्रित करने की मांग नागरिकों ने की है।

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