Pune News: पुणे महानगरपालिका में शामिल 11 गांवों के ड्राफ्ट विकास योजना में गड़बड़ियां, जनहित याचिका दायर

  • अदालत ने पीएमसी को जारी नोटिस कर मांगा जवाब
  • 6 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई
  • गांवों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और संचालन के लिए पीएमसी द्वारा जारी ई-टेंडर नोटिस को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2024-12-01 15:20 GMT

Mumbai News : पुणे महानगरपालिका (पीएमटी) में शामिल 11 गांवों के मसौदा (ड्राफ्ट) विकास योजना में गड़बड़ियों को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि पीएमसी ने 11 फरवरी 2021 के नए विलय किए गए 11 गांवों में सीवर (ड्रेनेज) नेटवर्क बिछाने, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और 5 साल के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन एवं रखरखाव के लिए एक निविदा (ई-टेंडर) नोटिस जारी किया है। जबकि मसौदा विकास योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इससे पीएमटी को आर्थिक नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है। अदालत ने पीएमटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने पीएमसी के पूर्व नगरसेवक अरविद्र तुकाराम शिंदे की ओर से वैभव उगले की दायर जनहित याचिका पर पीएमसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को रखी है। जनहित याचिका में 11 गांवों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और संचालन के लिए पीएमसी द्वारा जारी एक निविदा (ई-टेंडर) नोटिस को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का दावा है कि पीएमसी की सीमा के भीतर नए विलय किए गए गांवों के संबंध में ड्राफ्ट मसौदा विकास योजना तैयार करने के अपने इरादे की घोषणा से 3 साल की अवधि बीत जाने के बावजूद पीएमसी एमआरटीपी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मसौदा विकास योजना तैयार करने की मंजूरी के लिए सरकार को भेजने में विफल रहा है। ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान के अभाव में सीवर नेटवर्क और एसटीपी प्लांट बिछाने के लिए जारी ई-टेंडर नोटिस नियोजित विकास के सिद्धांतों के विपरीत है और इससे न केवल विकास संबंधी खतरे हैं, बल्कि इससे भारी आर्थिक नुकसान भी होगा। यहां तक कि प्रोजेक्ट कंसल्टेंट द्वारा तैयार सीवर सिस्टम के चित्र भी केवल गूगल मैप के आधार पर बनाए गए हैं। उन 11 गांवों के संबंध में फील्ड सर्वे नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक ई-टेंडर नोटिस न केवल भूमि अधिग्रहण, मोबिलिटी एडवांस के भुगतान, बाढ़ लाइनों के सीमांकन और निष्पक्ष टेंडरिंग सुनिश्चित करने के लिए पीएमसी द्वारा जारी आंतरिक दिशा-निर्देशों के संबंध में सरकारी नीतियों के विपरीत है, बल्कि ई-टेंडर नोटिस में प्रावधान इस तरह से बनाए गए हैं कि प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाए और अंततः बोली-धांधली को बढ़ावा मिले, जिससे टेंडर की लागत बढ़ जाए और महानगर पालिका के कोष पर भारी वित्तीय बोझ पड़े। इसी प्रकार सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की परियोजना को जानबूझकर सीवेज ट्रीटमेंट बिछाने की निविदा के साथ जोड़ दिया गया है, जबकि दोनों कार्य परस्पर अलग हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्होंने निविदा शर्तों और बोली-पूर्व बैठकों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने ने पीएमसी के अधिकारियों से मुलाकात की और आवश्यक जानकारी मांगी। याचिकाकर्ता ने अनुरोधों के बाद आयुक्त को एक आपत्ति पत्र और कानूनी नोटिस दिया, लेकिन पीएमसी ने इसे अनदेखा किया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल किया

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