जबलपुर: घायल तेंदुए के घाव तो भर गए लेकिन पूरी तरह फिट होने के लिए चाहिए प्राकृतिक वातावरण
इलाज के लिए लाए थे सेंटर में, जल्द जंगल नहीं लौटने पर दूसरी बीमारियों से घिरने की आशंका
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से लगे बम्हनी-बंजर से घायल हालत में वेटरनरी स्थित वाइल्ड लाइफ सेंटर में इलाज के लिए लाए गए तेंदुए के सभी घाव भर चुके हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि तेंदुए को पूरी तरह फिट होने के लिए जल्द से जल्द प्राकृतिक वातावरण में पहुँचाना होगा। जल्द ही इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो तेंदुआ दूसरी बीमारियों से घिर सकता है और उसके जीवन पर संकट होने का खतरा भी है। हालांकि वेटरनरी डॉक्टरों की टीम उसकी पूरी तरह देखरेख कर रही है और जल्द ही तेंदुए को जंगल भेजा जा सकता है। शुरुआती दौर में तेंदुआ एक से दो किलो ही चिकन खा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे घाव भरे तो तेंदुए की खुराक भी बढ़ती गई और वर्तमान में वो प्रतिदिन पाँच किलो चिकन खाने लगा है। उल्लेखनीय है कि करीब 22 दिन पूर्व कान्हा नेशनल पार्क से लगे बम्हनी-बंजर के जंगली एरिया में 5 साल का नर तेंदुआ घायल हालत में मिला था, जिसे वन विभाग की टीम ने इलाज के लिए जबलपुर वेटरनरी विवि स्थित वाइल्ड लाइफ सेंटर में पहुँचाया था। तेंदुए के पैर, पेट और कई अंगों में गंभीर घाव थे, जिनमें कई तरह के कीड़े और नीली मक्खियाँ जमी हुई थीं। तेंदुए के घाव भरने के लिए लेजर थेरेपी का प्रयोग हुआ था, जिसके बाद उसकी हालत में तेजी से सुधार हुआ था।
भरपूर खुराक ले रहा तेंदुआ इसलिए जंगल लौटना जरूरी
तेंदुआ का रेस्क्यू करने वाली टीम के सदस्य वन्य प्राणी विशेषज्ञ मनीष कुलश्रेष्ठ के मुताबिक पहले दिन जिस हालत में तेंदुआ मिला था, उसकी हालत काफी चिंताजनक थी। वाइल्ड लाइफ सेंटर में मिले बेहतर उपचार के चलते न सिर्फ तेंदुए की जान बची, बल्कि स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ है, लेकिन अब तेंदुए को पूरी तरह फिट होने के लिए प्राकृतिक वातावरण चाहिए। जंगल में धूप, पानी और अपनी क्षमता के हिसाब से दौड़ने के साथ शिकार करने से उनका शरीर मजबूत होता है, लेकिन वाइल्ड लाइफ सेंटर में दवाइयों की गंध और पिंजरे में रहने के कारण उसके शरीर में दूसरी बीमारियाँ फैल सकती हैं, जो तेंदुए के जीवन के लिए घातक हो सकती हैं।