कांग्रेस में कुछ की दावेदारी नहीं पचा पा रहे कतार में लगे
अन्य लोग तो भाजपा में भीतर ही भीतर कर रहे तैयारी
डिजिटल डेस्क,सिवनी।
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में संगठन स्तर पर दोनों दलों द्वारा विभिन्न सुदृढ़ीकरण की चल रही कवायद के बीच, बूथ मैनेजमेंट सहित बात अब प्रत्याशियों के चयन तक जा पहुंची है। कांग्रेस इस मामले में आगे बनी हुई है। उसने सिवनी सहित प्रदेश की अतिसंवेदनशील 66 सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए रायशुमारी शुरू कर दी है। सिवनी सहित समीपी बालाघाट में रायशुमारी का दौर पूरा हो चुका है। सिवनी में जहां रविवार को केन्द्रीय पर्यवेक्षक कुलदीप राठौर ने करीब एक दर्जन दावेदारों सहित कार्यकर्ताओं व नेताओं से रायशुमारी की। रायशुमारी दौरान दावेदारों के सामने आ जाने के बाद अब ‘अमुक की’ रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया है। इसके पीछे वजह यह है कि कुछ दावेदारों की दावेदारी, दूसरे दावेदार तथा जिले के कांग्रेसी पचा नहीं पा रहे हैं। एक-दूसरे के प्रति नाराजगी भी सोमवार को देखी गई लेकिन खुलकर जताने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा। सूत्रों के मुताबिक तीन दावेदार वे हैं जो यह नहीं चाहते कि पूर्व में जिन्हें मौका मिल चुका है, उन्हें दोबारा प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा जाए। इनके द्वारा अपने समर्थकों से यह बात खुलकर कही जा रही है और पार्टी के उन फैसलों का हवाला भी दिया जा रहा है, जिनमें कहा गया था कि जिलाध्यक्ष को टिकट नहीं दी जाएगी। दस हजार से ज्यादा वोट से हारने वाले को टिकट नहीं दी जाएगी तथा जहां पार्टी 20-25 साल से लगातार हार रही है, वहां युवाओं को टिकट दी जाएगी। सिवनी में कांग्रेस 1990 से विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई है।
तीन सीटों पर फैसला बाद में होगा
कांग्रेस पिछला चुनाव केवलारी से हार गई थी। रायशुमारी करने आए पर्यवेक्षक श्री राठौर ने मीडिया के समक्ष स्पष्ट किया था कि उन्हें केवल लंबे समय से हार वाली सीटों में रायशुमारी के निर्देश मिले हैं और इसलिए सिवनी आए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार बालाघाट की तरह सिवनी में प्रत्येक विधानसभा सीट पर इसलिए भी चर्चा नहीं हुई क्योंकि केवलारी उन 66 सीटों की सूची में शामिल नहीं है, जो संवेदशनशील मानी गई हैं। जिले की दोनों ट्रायबल सीट लखनादौन और बरघाट में कांग्रेस काबिज है। सूत्र इन तीनों सीटों पर एकल नाम होने की बात भी कहते हैं, साथ ही यह भी कहते हैं कि अंतिम फैसला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की टीम द्वारा किये जा रहे चौथे चरण के सर्वे के बाद होगा। लिहाजा इन तीनों सीटों के वरीयता क्रम में दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान वाले दावेदार अपनी टिकट पक्की कराने फिलहाल छिंदवाड़ा व भोपाल की दौड़ लगा रहे हैं।
सिवनी में भाजपा की गुटबाजी का लाभ उठा सकती है कांग्रेस
सिवनी सीट पर भाजपा में गुटबाजी अब कांग्रेस की अपेक्षा ज्यादा है। दरअसल, लगातार इस सीट पर भाजपा को मिल रही जीत ने कइयों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। ऐसे ही उम्मीद पाले बैठे करीब डेढ़ दर्जन नेताओं का एक बड़ा खेमा नहीं चाहता कि वर्तमान भाजपा विधायक दिनेश राय ‘मुनमुन’ को टिकट दिया जाए, जिन्होंने सन् 1990 से इस सीट पर जारी भाजपा के विजयरथ को निर्दलीय चुनाव लडक़र वर्ष 2013 में थाम दिया था। इसे लेकर इन सबकी एक बैठक भी हो चुकी है, जिसे भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे ने बर्थ-डे पार्टी बताया था। इस मीटिंग की बात सार्वजनिक होने के बाद से इस खेमे के सभी नेता तितर-बितर हैं। खुलकर मुनमुन का टिकट काटने की बात करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा। सिवनी से दावेदारी पेश करने की तैयारी जरूर आधा दर्जन भाजपाइयों की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार मुनमुन रिपीट होंगे या टिकट कटेगी, यह बाद की बात है। किसको टिकट मिलेगी या मिल सकती है, यह दूसरी बात है। यह अलग बात है कि उन्हें प्रत्याशी बनाया जाता है अथवा नहीं और पार्टी दो बार से चुनाव जीत रहे विधायक का टिकट काटने का बड़ा रिस्क लेती है अथवा नहीं। इन दोनों से बड़ी बात यह है कि जिला भाजपा में जिस तरह की गुटबाजी चल रही है उसका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ कांग्रेस जरूर उठा ले जाएगी। कांग्रेस इसी तरह के किसी अवसर की तलाश में ही बैठी है। वह तो चाहती ही है कि सिवनी भाजपा में बगावत हो और वह अपना 33 साल का सूखा खत्म करे।
बरघाट-लखनादौन के लिए तय नहीं नाम
भाजपा में अभी ट्रायबल सीटों बरघाट व लखनादौन से ऐसा कोई सशक्त दावेदार सामने नहीं आया है, जिसे टिकट मिलना पक्का माना जा सके। लखनादौन में तो भाजपा के पास ऐसा कोई नाम नहीं है, जिसकी विधानसभा क्षेत्र में सीधी पकड़ हो। इसी का फायदा लगातार दो चुनावों से कांग्रेस को मिल रहा है। लखनादौन से दो बार विधायक रह चुकीं नेत्री सहित पिछला चुनाव हारने वाले प्रत्याशी और एक मोर्चा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष जरूर यहां अपनी संभावनाएं टटोल रहे हैं। बरघाट सीट पर भी एक पूर्व विधायक सहित चार नाम पार्टी के सामने हैं। इन सबकी भी अपनी तैयारी है, लेकिन केवलारी को लेकर न पार्टी सूत्र कुछ कहने तैयार हैं और न ही वर्तमान विधायक ही कुछ कह रहे हैं।