मरीजों को सुलभ नहीं इलाज, चिकित्सकाें की कमी बनी रोड़ा, पदों पर नियुक्ति करने लिखा पत्र

34 मेडिकल ऑफिसर्स की जरूरत जिला अस्पताल में ड्यूटी पर केवल 4

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-11 11:41 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर| जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का मुद्दा गहराता जा रहा है। आकस्मिक ड्यूटी समेत अन्य ड्यूटी करने के लिए मेडिकल ऑफिसर्स नहीं हैं। जिसका परिणाम यह है कि मरीजों को इलाज सुलभता से नहीं मिल पा रहा है। एक ओर जहाँ ड्यूटी लगने के बाद भी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सक कैजुअल्टी में नहीं पहुँच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल में प्रमोशन के बाद मेडिकल ऑफिसर्स की संख्या घट गई है। जानकारी के अनुसार विक्टोरिया अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के कुल स्वीकृत पद 23 एवं ट्रामा चिकित्सा अधिकारी के स्वीकृत पद 11 हैं, इन्हें मिलाकर कुल 34 चिकित्सक होते हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि कुल 4 चिकित्सा अधिकारी कार्यरत हैं और शेष 30 पद रिक्त हैं। जिसके चलते ओपीडी टाइमिंग पर तो इलाज मिल रहा है, लेकिन इसके बाद आकस्मिक चिकित्सा सेवा दम तोड़ रही है। मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. मनीष मिश्रा ने एनएचएम मिशन संचालक को रिक्त पद पर नियुक्ति कराने पत्र लिखा है।

आ रहीं कठिनाइयाँ

सिविल सर्जन द्वारा एनएचएम मिशन संचालक को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएँ एवं आकस्मिक चिकित्सा कक्ष के सफल संचालन में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिले की आबादी लगभग 28 लाख है। इनमें से करीब 16 लाख लोग शहरी क्षेत्र में निवास करते हैं। विक्टोरिया अस्पताल शहर के मध्य में स्थित होने के कारण 24 घंटे मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। चिकित्सा सुविधाओं के सुचारु रूप से क्रियान्वन के लिए 30 मेडिकल ऑफिसर्स की नियुक्ति अतिशीघ्र कराने का कष्ट करें।

पहले डॉक्टर थे 11, प्रमोशन के बाद बचे 4

जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में शासन द्वारा हाल ही में की गई पदोन्नति के पूर्व 34 में से 11 डाॅक्टर काम कर रहे थे, लेकिन प्रमोशन के दौरान क्लास 2 से क्लास 1 में 7 डाॅक्टरों का प्रमोशन हो गया। जिसके चलते केवल 4 चिकित्सक ही मेडिकल ऑफिसर्स की जिम्मेदारी सँभालने के लिए शेष बचे। वर्तमान में एक संविदा कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर की पदस्थापना की गई है। जिसके बाद यह संख्या बढ़कर पाँच हो गई है। इसलिए शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात डाॅक्टरों की ड्यूटी कैजुअल्टी में लगाने की नौबत आई, लेकिन ये डॉक्टर भी नहीं आ रहे और मरीजों को परेशानी हो रही है।

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