हद है: सँवरने से पहले ही उजड़ गए तीन गार्डन बाउंड्रीवॉल की ईंटें और गेट तक उखाड़कर ले गए

  • विजय नगर स्कीम नंबर-41 में लापरवाही की पराकाष्ठा
  • खाका खींचकर भूल गए अफसर, उद्यान जैसा कुछ है नहीं
  • जेडीए की स्कीम नंबर-41 के तीनों गार्डनों के विकास के लिए योजनाएँ तैयार की गई हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-14 10:04 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जनप्रतिनिधि और सरकारी नुमाइंदे दफ्तरों में बैठकर शहर के विकास की बातें करते हैं, लेकिन तथाकथित विकास का हश्र कैसा होता है... इसकी एक और बानगी जेडीए की स्कीम क्रमांक-41 के अंतर्गत जीरो डिग्री के समीप उद्यानों के लिए चिन्हित की गई जमीन के रूप में देखा जा सकता है।

यहाँ तीन गार्डनों के लिए जगह छोड़ी गई। वहाँ बाकायदा बाउंड्रीवॉल बनाकर गेट भी लगाया गया। जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने 6 साल पहले इन्हें नगर निगम को सौंप भी दिया। लेकिन अब तीनों कथित गार्डन उजाड़ में तब्दील हो चुके हैं। हालात ये हैं कि गार्डनों की बाउंड्रीवॉल की ईंटें और लोहे का गेट तक चोर निकालकर ले गए हैं। इसके बाद भी नगर निगम के अधिकारी नींद में गाफिल हैं।

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि जेडीए ने स्कीम नंबर-41 में रहने वाले लोगों के लिए तीन गार्डन बनाए थे। जेडीए ने गार्डनों की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवॉल भी बनाई थी। वर्ष 2018 में जेडीए ने स्कीम नंबर-41 को नगर निगम के सुपुर्द कर दिया था।

यहाँ पर सड़क, नाली और गार्डन के विकास कार्यों के लिए जेडीए ने नगर निगम को 16 करोड़ रुपए का विकास शुल्क भी जमा कराया था, लेकिन नगर निगम ने यहाँ पर कोई काम नहीं किया। यहाँ पर जब आबादी कम थी, तो लोग ज्यादा विरोध नहीं किया करते थे। आबादी बढ़ने के साथ ही लोग अब सड़क, नाली और गार्डनों की मूलभूत सुविधा के लिए आवाज उठाने लगे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों ने कई बार नगर निगम को गार्डनों के विकास के लिए पत्र दिया, लेकिन नगर निगम के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

स्मार्ट सिटी ने बना दिया सीमेंट मटेरियल का कारखाना

नागरिकों ने बताया कि स्मार्ट सिटी ने तीनों गार्डनों को सीमेंट मटेरियल बनाने के लिए ठेकेदारों को दे दिया। पिछले कई वर्षों से ठेकेदार गार्डनों का उपयोग सीमेंट मटेरियल तैयार करने के लिए कर रहे थे। ठेकेदारों के श्रमिक भी यहीं रहा करते थे।

इससे पूरा गार्डन तहस-नहस हो गया। जानकारों का कहना है कि 6 महीने पहले ही ठेकेदारों ने गार्डन को खाली किया है, लेकिन ठेकेदारों ने गार्डन का सुधार कार्य नहीं किया। इसके बाद गार्डन की बाउंड्रीवॉल की ईंटें तक लोग निकालकर ले गए। गार्डन के अंदर बड़ी-बड़ी झाड़ियाँ उग आई हैं। पूरे परिसर में पानी भरा हुआ है। गार्डनों के किनारे अवैध कब्जे होने लगे हैं।

समीप जाने से भी घबराने लगे लोग

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि तीनों गार्डन अब सैकड़ों लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। इनमें जहरीले जीव-जंतु और मच्छर पल रहे हैं, जिनके कारण यहाँ रहने वाले अब गार्डनों के समीप भी जाने से घबराने लगे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि तीनों गार्डनों में बारिश का पानी भरा हुआ है। यहाँ पर गंदगी का भी अंबार लग चुका है। इससे मच्छर और जहरीले जीव-जन्तु पनप रहे हैं। इससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ गया है।

जेडीए द्वारा वर्ष 2018 में स्कीम नंबर-41 को नगर निगम के सुपुर्द किया जा चुका है। यहाँ के विकास कार्य के लिए 16 करोड़ रुपए भी जमा कराए गए हैं। अब स्कीम नंबर-41 में विकास कार्य नगर निगम को करना है।

संजय खरे, अधीक्षण यंत्री, जेडीए

जेडीए की स्कीम नंबर-41 के तीनों गार्डनों के विकास के लिए योजनाएँ तैयार की गई हैं। बजट स्वीकृत होते ही काम शुरू किया जाएगा। यहाँ पर जल्द ही पौधारोपण भी कराया जाएगा।

- आदित्य शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, उद्यान विभाग नगर निगम

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