जबलपुर: चलते इलाज के बीच खुद ऑटो में बैठ कर पहुँचा मरीज

  • राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल के हाल
  • एमआईसीयू में भर्ती प्रौढ़ को बुलाया
  • गंभीर पेशेंट पर भी तरस नहीं खा रहा सिस्टम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-13 12:49 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल में अराजकता किस हद तक बढ़ चुकी है, उसकी एक बानगी हाल में तब देखने मिली जब गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती एक मरीज को रेफर लेटर बनवाने के लिए खुद ऑटो पर बैठकर बीमा अस्पताल जाना पड़ा।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डिस्पेंसरी इंचार्ज ने परिजनों को बिना मरीज लाए रेफर लेटर देने से मना कर दिया। परिवार वालों द्वारा मरीज की हालत गंभीर होने की जानकारी देने के बाद भी डिस्पेंसरी इंचार्ज ने रेफर लेटर नहीं बनाया।

इसके बाद मजबूरी में परिजनों को चलते इलाज के बीच ही मरीज को ऑटो में बैठाकर बीमा अस्पताल ले जाना पड़ा। इस संबंध में श्रम और रोजगार मंत्रालय भारत सरकार, जिला कलेक्टर, रीजनल डायरेक्टर समेत अन्य को शिकायत पत्र भी भेजा है।

पहले बल्देवबाग डिस्पेंसरी, बाद में भेजा बीमा अस्पताल

आगा चौक निवासी डॉ. हेमंत करसा ने बताया कि बीते हफ्ते 6 दिसंबर को तड़के करीब 6 बजे उनकी तबियत अचानक बिगड़ने लगी। परिजनों ने उन्हें घर के नजदीक स्थित एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया। निजी अस्पताल द्वारा रेफर लेटर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।

परिजन बल्देवबाग स्थित डिस्पेंसरी फिर कांचघर स्थित राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल पहुंचे।

बमुश्किल से मिला लेटर- डॉ. करसा का कहना है कि बेटी केतकी अस्पताल पहुँची, जहाँ इंचार्ज डॉ. गीता परतीते ने कहा कि मरीज अन्य अस्पताल में भर्ती करने योग्य है या नहीं यह वे तय करेंगी, इसलिए पहले जाँच के लिए लाना था।

लंबी जिरह के बाद भी बात नहीं बनी, आखिरकार मारीज को भर्ती अवस्था में ऑटो से बीमा अस्पताल लाया गया, तब जाकर रेफर लेटर दिया गया। विभाग के रीजनल डाॅयरेक्टर डॉ. दीपक गोंटिया का कहना है कि सोमवार को जाँचकर कार्रवाई की जायेगी।

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