जबलपुर: खदान का पानी ओबी के पहाड़ से झरने की तरह खुले में छोड़ा जा रहा
- धमकी में दिखाई देता है खदान संचालकों की मनमानी का असल नजारा
- श्मशान घाट,सपेरों की बस्ती और कुचबंदिया मोहल्ले को कर दिया तबाह, नारकीय जीवन जी रहे यहां के बाशिंदे
डिजिटल डेस्क,जबलपुर,गांधीग्राम।
खदान की बाहरी सीमा पर पौने दो सौ फीट के ओबी (ओवर बर्डन) के खड़े पहाड़ और उनके ऊपर से झरने की तरह बहता मिनरल्स, ब्लू डस्ट तथा काली- पीली मिट्टी युक्त गंदा पानी। नीचे आकर यह पानी कहीं छोटी नदी तो कहीं छोटे-बड़े नाले में तब्दील हो जाता है। यह गंदा पानी आगे खुले में बहता हुआ कच्ची सडक़ के पार बसी सपेरों की बस्ती के बगल से निकलता हुआ, बस्ती से सट कर लगे बेनिफिकेशनप्लांट में चला जाता है। प्लांट के पास पहले से आबाद सपेरों की बस्ती और कुचबंदिया मोहल्ले के दो तरफ छोटी पहाडिय़ों की शक्ल ले चुका पानी के साथ बहकर आया ओवर बर्डन का मलबा तथा टेली (सबसे नीचे का कीचड़ युक्त मलबा) और दूर तक बहता व एकत्र गंदा पानी नजर आता है। खदान के ठीक नीचे स्थित श्मशानघाट के और बुरे हाल हैं। यह नारकीय दृश्य गांधीग्राम (बुढ़ागर) से 2 किलोमीटर दूर ग्राम धमकी में स्थापित जाखोदिया मिनरल्स की आयरन ओर की खदान से, अपनी सीमा से बाहर असुरक्षित तरीके से रोज छोड़े जा रहे पानी की वजह से बना हुआ है।
किसी ने कहा 10 तो किसी ने 20 दिन
मौके पर मिले माइन्स सुपरवाइजर प्रशांत दहायत (नान डिग्री/डिप्लोमा होल्डर) तथा एमटी इंचार्ज नंद किशोर विश्वकर्मा ने पहले तो 2 दिन पहले टेली फूटने के कारण पानी खदान के बाहर आ जाने की बात कही। उन्हें यह बताने पर कि दो दिन में नदी जैसा पानी नहीं बहता है, दोनों ने दस दिन से खदान का पानी बाहर छोड़े जाने की बात कही। इन्होंने यह भी बताया कि इसी तरह से खुले में बहता हुआ यह पानी बेनिफिकेशनप्लांट में पुनर्उपयोग के लिए ले जाया जाता है। तभी वहां पहुंचे गांव के समंदर कुचबंदिया, रूपेश नागनाथ, मोहनी तथा आरती कोल ने बताया कि करीब 20 दिन से खदान के बाहर पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी हम लोगों की बस्ती से हो कर प्लांट तक जाता है। श्मशान घाट के समीप पड़ी ऊपर से पानी के साथ बहकर आई टेली दिखाते हुए इन्होंने कहा कि अब तो अंतिम क्रिया करना भी दूभर हो गया है।
बस्ती हटाने तैयार लेकिन सुरक्षित जल निकासी पर चुप्पी
जोखोदिया माइन्स एण्ड बेनिफिकेशनके प्लांट हेड सौरभ अग्रवाल खदान का पानी बाहर छोड़े जाने की वजह उसका बेनिफिकेशनप्लांट में इस्तेमाल किया जाना बताते हैं। नियम ताक पर रख, असुरक्षित तरीके से पानी ले जाये जाने के सवाल पर वे चुप्पी साध लेते हैं। कंपनी के खदान प्रबंधक विनय झा यह तर्क देते हैं कि कंपनी द्वारा कुचबंदिया मोहल्ला तथा सपेरों के परिजनों को यहां से कहीं दूर बसने और उसमें सहयोग की बात कई बार कही गई लेकिन वे लोग तैयार नहीं हुए। श्री झा के अनुसार प्लांट के समीप की जमीन भी कंपनी खरीदने को तैयार है लेकिन वहां रह रहे लोगों को सरकार की तरफ से पट्टे पर भूमि मिलने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा।
किसी को कोई सरोकार नहीं
प्लांट से लगी सपेरों तथा कुचबंदियों की बस्ती में 500 वोटर हैं। कल्लू सपेरा, महेन्द्र, सनी व गोलू बताते हैं कि हमारी सात पीढिय़ां यहां रहती आई हैं लेकिन ऐसा नारकीय जीवन किसी ने नहीं जिया। दो महीने पहले नलजल के लिए पाइप लाइन डालने सरकारी लोग आए, खुदाई की और बाद में आने की बात कह ऐसे गायब हुए कि लौट कर ही नहीं आए। पार्वती बाई, सरोज, वर्षा तथा अनीता बाई कहती हैं कि हमने फैक्ट्री में जब-तब आने वाली मैडम के सामने भी अपनी दुर्दशा बयां की। इसके बाद से वे फैक्ट्री में हम लोगों से बच कर और चोरी-चुपके जाती हैं। हम से सामना होने पर जवाब जो देना पड़ेगा। बस्ती में रहने वाले दो तरफ से बह रहे तथा यहां-वहां एकत्र गंदे पानी तथा बस्ती के दो तरफ लगे खदान के मलबे के ढेरों को दिखाते हुए कहते हैं कि, सरकार और प्रशासन का हम लोगों से कोई सरेाकर ही नहीं रह गया है। यदि ऐसा न होता तो जाखोदिया पर अंकुश लगा कर हम लोगों को इस नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाते।
खदान का पानी सीमा से बाहर असुरक्षित तरीके से छोडऩे की अनुमति किसी को नहीं है। यदि खदान का पानी प्लांट तक ले जाना है तो भी इसकी विधिवत और सुरक्षित व्यवस्था करनी होती है। जाखोदिया मिनरल्स से इस संबंध में जवाब मांगा जाएगा और पानी की सुरक्षित निकासी की व्यवस्था कराए जाने के साथ, खदान की सीमा से बाहर पड़े ओवर बर्डन तथा टेली को भी हटवाया जाएगा।
- आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी (मप्र पदूषण नियंत्रण बोर्ड) जबलपुर