जबलपुर: साल भर आर्थिक संकट से जूझता रहा निगम, ग्वारीघाट का नाम बदलकर किया गौरीघाट
माँ नर्मदा में मिलने वाले गंदे नालों को रोकने का काम भी नहीं हो पाया पूरा
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
शहर का विकास करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, इसके लिए कई योजनाएँ बनाई गईं, लेकिन इस साल कोई भी बड़ी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। इस साल दीपावली तक नगर सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी माँ नर्मदा में मिलने वाले गंदे नालों को रोकने का काम पूरा करना था, लेकिन इसकी डेडलाइन बढ़ाकर जनवरी 2024 कर दी गई। भारत माता मंदिर का निर्माण और शहर में प्रदेश के सबसे ऊँचे राष्ट्रीय ध्वज लगाने का प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं हो पाया। इस साल नगर निगम सदन ने ग्वारीघाट का नाम बदलकर गौरीघाट कर दिया। वर्ष 2023 में नागरिकों की शिकायतों के निराकरण के लिए महापौर हेल्पलाइन शुरू की गई। इसके साथ ही जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र लोगों के घरों तक पहुँचाने की व्यवस्था लागू की गई।
स्वच्छता सर्वेक्षण में 22वें नंबर पर पहुँचे
स्वच्छता सर्वेक्षण में इस साल शहर को जबरदस्त झटका लगा। तमाम प्रयासों के बावजूद जबलपुर 22वें नंबर पर पहुँच गया। महापौर, पार्षदों और अधिकारियों ने आने वाले वर्ष में शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप-10 में लाने के लिए प्रयास शुरू किया है। साफ-सफाई के लिए संसाधन भी बढ़ाए गए हैं, लेकिन डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था को लेकर नागरिकों में आक्रोश बना हुआ है।
पार्षद मद के लिए जूझते रहे पार्षद
नगर निगम के पार्षदों ने इस साल पार्षद मद की राशि बढ़ाकर 90 लाख रुपए करा ली, लेकिन आर्थिक संकट के कारण 9 माह में केवल 30 लाख रुपए के ही काम हो पाए। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कटौती होने से नगर निगम की परेशानी और भी बढ़ गई। पार्षद मद के काम कराने के लिए पार्षद साल भर जूझते रहे। पार्षद मद की राशि रिलीज करने के लिए पार्षद धरना-प्रदर्शन करते रहे। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण लगभग ढाई महीने तक विकास कार्य थमे रहे।
शहर की आबोहवा में हुआ सुधार
शहर में इस साल वायु प्रदूषण रोकने के लिए बड़ी संख्या में उद्यानों का निर्माण और सड़क के किनारे पेवर ब्लॉक लगाने का काम किया गया। इससे शहर की आबोहवा में सुधार हुआ। इसके कारण इंदौर, भोपाल और ग्वालियर की तुलना में जबलपुर में सबसे कम वायु प्रदूषण दर्ज किया गया।
शहर में बनेंगी 18 नई पानी की टंकियाँ
नगर निगम ने अमृत फेज-2 के तहत शहर की जल वितरण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 281 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है। इस योजना के तहत शहर में 18 नई पानी की टंकियाँ बनाई जाएँगी। इसके साथ ही राँझी जलशोधन संयंत्र तक नर्मदा जल पहुँचाया जाएगा। वर्ष 2024 में काम शुरू होने की उम्मीद है।