जबलपुर: योजना क्रमांक 11 के निवासियों के साथ प्राधिकरण का धोखा
- 41 साल बाद की जा रही बंदरबाँट
- वर्तमान में पेड़-पौधे लगे हैं और वाहनों की पार्किंग की जाती है।
- ओपन जमीन को जबलपुर विकास प्राधिकरण को खेल के लिए उपलब्ध कराना था
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कम कीमत में मध्यमवर्गीय परिवार को प्लाॅट देने की योजना नगर सुधार न्यास के द्वारा बनाई गई थी। जून 1983 में योजना की शुरुआत करने के लिए राजपत्र में भी प्रकाशन किया गया था।
राजपत्र में प्रकाशन के बाद नगर सुधार न्यास के द्वारा प्लॉटिंग की गई और जिन्होंने प्लाॅट लिए, वे निर्माण कर रहने भी लगे। योजना में बच्चों को खेलने के लिए गार्डन की जगह भी रखी गई थी और उस गार्डन का नाम नगर-वन रखा गया था, जिसमें पेड़-पौधे लगाने का प्रावधान था।
इसके लिए खाली जमीन छोड़ दी गई और उसमें वर्तमान में पेड़-पौधे लगे हैं और वाहनों की पार्किंग की जाती है।
प्राधिकरण अपने ही नक्शे से कर रहा छेड़छाड़
जेडीए अपनी ही योजनाओं में गोलमाल करने में लगा हुआ है। नक्शे व ले-आउट से भी छेड़छाड़ करने में लगा हुआ है। ऐसी स्थिति में योजना क्रमांक 11 में रह रहे आम लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है।
वे भी अब जबलपुर विकास प्राधिकरण के गोलमाल को लेकर आक्रोशित हो रहे हैं। वहाँ के रहवासी कह रहे हैं कि शहरी सीलिंग जबलपुर विकास प्राधिकरण कटवा नहीं रहा है और जमीन की बंदरबाँट करने में लगा हुआ है।
खेल के लिए उपलब्ध करानी थी, उस पर एनओसी दे दी
स्नेह नगर, हनुमान मंदिर के समीप खाली पड़ी ओपन जमीन को जबलपुर विकास प्राधिकरण को खेल के लिए उपलब्ध कराना था, पर उनके द्वारा उक्त जमीन बेचने के लिए एनओसी दी जा रही है।
राजपत्र में 29 जून 1983 में हुआ प्रकाशन
जिन भी खसरों में एनओसी दी गई और दी जा रही है, उन पर बाकायदा राजपत्र में आज भी प्रकाशन है। प्रकाशन के बाद भी जबलपुर विकास प्राधिकरण अनापत्ति प्रमाण-पत्र देने में लगा हुआ है। शासन को लाखों की नहीं, बल्कि करोड़ों की क्षति पहुँचाई जा रही है।
खास बात तो यह है कि 41 साल पहले जो जमीन जेडीए के पास आ गई थी, उसी जमीन में हेराफेरी कर दी गई, वह भी शासन से डीनोटिफिकेशन कराए बगैर। वहीं जबलपुर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दीपक वैद्य से संपर्क किया गया, पर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।