जबलपुर: जिन 3 हजार ऑटो का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया, वे अभी भी बेखौफ दौड़ रहे हैं सड़कों पर
- परिवहन विभाग ने इन पर दोबारा कार्रवाई की सुध ही नहीं ली, न जब्ती न धरपकड़
- शहर के बाहरी हिस्से से बिना रजिस्ट्रेशन के ऑटो चौराहों से बिना किसी भय के निकलते हैं।
- 3 हजार के करीब ऑटो बिना रजिस्ट्रेशन के अब भी शहर की सड़कों पर बेखौफ दौड़ रहे हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में सार्वजनिक परिवहन में अपनी अहम भूमि अदा करने वाले ऑटो आम आदमी के लिए दस्तावेजों के हिसाब से कितने असुरक्षित हैं इसकी बानगी देखिए कि 3 हजार के करीब ऑटो बिना रजिस्ट्रेशन के अब भी शहर की सड़कों पर बेखौफ दौड़ रहे हैं।
इनको लाख कोशिशों के बाद भी परिवहन विभाग पूरी संख्या में सड़कों से नहीं हटा सका है। परिवहन विभाग कहता है कि 15 साल पुराने ऐसे ऑटो का रजिस्ट्रेशन रद्द है तो इनको ट्रैफिक पुलिस को चौराहों पर पकड़ना चाहिए। सच्चाई यही है कि दोनों विभाग इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई को लेकर अनदेखी भरा रवैया अपनाए हुए हैं।
शहर के बाहरी हिस्से से बिना रजिस्ट्रेशन के ऑटो चौराहों से बिना किसी भय के निकलते हैं। इनमें परिवहन दस्तावेजों के लिहाज से न तो फिटनेस, बीमा, परमिट, मीटर सत्यापन और न ही किसी तरह का पंजीकरण है।
ये चलने के लायक हैं ही नहीं पर अवैध ऑटो के साथ ये समाहित होकर सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि खटारा वाहनों को सड़क से हटाने की कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हो सकी है।
सर्वर डाउन होने से परेशानी
इधर शहर आरटीओ में आए सैकड़ों उपभोक्ता गुरुवार के दिन सर्वर डाउन होने से परेशान होते रहे। एनआईसी में जरूरी सुधार के मद्देनजर सर्वर डाउन है जिसमें परिवहन कार्यालय में फीस जमा करने जैसे कार्य तक नहीं हो सके।
एनआईसी से जुड़ी सर्विस में सर्वर डाउन होने से ऐसे हालात बने और अगले 5 दिन तक साॅफ्टवेयर को अपडेट करने के लिए प्रदेश स्तर पर यह सेवा प्रभावित हो रही है।
आरटीओ से परेशान होकर लौटे लोगों का कहना था कि बीते एक साल से ऐसे हालात हैं जिसमें एनआईसी का सर्वर कभी भी डाउन हो जाता है, जिसके चलते हमें कार्यालय से निराश होकर लौटना पड़ता है। सालों से परिवहन विभाग में अधिकारी इसका हल नहीं खोज पाए हैं।