जबलपुर: इजरायल से आए तीन कंसाइनमेंट की एलपीआर में टेस्टिंग
फ्रंट लाइन पर आर्टिलरी गन के रूप में होगा इस्तेमाल, एक मिनट में फायर करती है 700 बुलेट
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
गाजा स्ट्रिप पर कोहराम मचाने वाली इजरायल की बेहद इंटेलीजेंट गनों की एक बड़ी खेप भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होने वाली है। आयुध निर्माणी खमरिया से लगे लाँग प्रूफ रेंज में बीते दिनों 7.62 एलएमजी की टेस्टिंग की गई। कई राउंड फायर किए गए, सब के सब एकदम सटीक निशाने पर पहुँचे बस नहीं, बल्कि टारगेट को भी तबाह कर दिया। दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देशों में बेहद घातक और अहम हथियार का रोल अदा करने वाली इजरायल की एलएमजी ने शुरुआती दौर के सभी टेस्ट पास कर लिए हैं। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में गनों के तीन कंसाइनमेंट जबलपुर स्थित सेंट्रल ऑर्डनेंस डिपो में पहुँचे, जिनका फायरिंग राउण्ड टेस्ट हाल ही में एलपीआर में पूरा किया गया। इस दौरान आर्मी के कई सीनियर ऑफिसर्स मौजूद रहे।
अलग-अलग दूरी पर टारगेट, सभी एक्यूरेट
एलपीआर में गन की टेस्टिंग के लिए अलग-अलग दूरी पर टारगेट सैट किए गए। सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले 300 मीटर टारगेट पर फायर किए गए। टारगेट तबाह होने के बाद कई पैरामीटर्स को प्वाॅइंटआउट किया गया। इसके बाद क्रमश: दूरी बढ़ाकर 800 मीटर तक की गई।
880 करोड़ रु. की डील
एलएमजी के लिए इजरायल और भारत के बीच तकरीबन 880 करोड़ का सौदा किया गया है, जिसमें 16,479 गनें भारत को सौंपी जाएँगी। जानकारों का कहना है कि पहला लॉट वर्ष 2021 में सौंपा गया था। इसके बाद मौजूदा लॉट में हासिल की गई गनों की टेस्टिंग एलपीआर में की गई है।
इसमें हैं वर्ल्डक्लास खूबियाँ
लो रिकॉल
मशीन गन बुलेट फायर होते समय एक जोर का झटका देती है, इसके बाद अपनी एक्चुअल पोजिशन में लौट आती है, इसे ही रिकॉल कहा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस गन में यह सिस्टम बेहद लो कैटेगरी का है, मतलब सैनिक को झटका महसूस नहीं होता।
एक्स्ट्रीम कंडीशन
गन को हाई और एक्स्ट्रीम लो टेम्परेचर कंडीशन में टेस्ट किया जा चुका है। इसके अलावा इसका वजन 7.95 केजी है, जो सैनिक के लिए परेशानी खड़ी नहीं करता।
लेजर लाइट जैसी कई एसेसरीज
गन की एक और खूबी यह है कि इसमें लेजर लाइट जैसी कई एसेसरीज भी सैट की जा सकती हैं। फील्ड पर ही इसके बैरल को बदला जा सकता है।