जबलपुर: स्पीडी ट्रायल अभियुक्त का है मौलिक अधिकार
- इसे अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रख सकते
- 6 माह में ट्रायल पूरा करने के निर्देश
- आवेदक भी अब गवाहों के प्रति परीक्षण की कार्रवाई बिना देरी के कराएँ।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में लंबी चलने वाली प्रक्रिया पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि स्पीडी ट्रायल अभियुक्त का मौलिक अधिकार है। गवाहों की दया पर इसे अनिश्चित काल के लिए लंबित नहीं रखा जा सकता।
इस मत के साथ जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने ट्रायल कोर्ट को 6 माह में ट्रायल पूरा करने के निर्देश दिए।
जबलपुर, हनुमानताल निवासी सिराज खान के विरुद्ध वर्ष 2017 में एक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। मुकदमा पिछले 7 साल से लंबित है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंकित श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले सात सालों में हनुमानताल पुलिस ने एक भी गवाह पेश नहीं किया है।
याचिकाकर्ता को बेवजह इतने सालों से परेशान किया जा रहा है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अभियोजन को निर्देश दिए कि गवाहों के खिलाफ जारी सभी लंबित समन, वारंट को हर हाल में तामील कराएँ।
इस संबंध में हनुमानताल पुलिस के एसएचओ ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत हलफनामा पेश कर यह स्पष्टीकरण दें कि गवाहों को समन व वारंट क्यों नहीं पहुँचे। कोर्ट ने कहा कि यदि गवाहों को समन व वारंट मिले हैं और उसके बावजूद वे ट्रायल कोर्ट में गवाही के लिए हाजिर नहीं हुए हैं तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आवेदक भी अब गवाहों के प्रति परीक्षण की कार्रवाई बिना देरी के कराएँ।