कलेक्टर से मिलकर बताई अपनी व्यथा: जिले के राजस्व अधिकारियों ने खड़े किए हाथ, कहा- काम का अत्यधिक दबाव
- राजस्व अभियान के लिए संसाधन उपलब्ध कराया जाए या फिर काम न थोपा जाए
- एमपीएलआरसी की धारा 31 न्यायालय का दर्जा प्रदान करती है और प्रक्रिया के पालन की अपेक्षा रखती है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अधिकारियों ने अधिकारी से कहा कि हम पर अत्यधिक दबाव है और काम का बोझ पड़ा तो हम इसे सँभाल नहीं पाएँगे। बेहतर होगा कि या तो अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराया जाए या फिर काम के दबाव से हमें मुक्त किया जाए। वर्तमान में हम जो काम कर रहे हैं वह इतना है कि उसे करने में ही हालत खराब है जबकि हर कुछ दिनों में नया अभियान सामने आ जाता है।
अब राजस्व अभियान 2.0 ने हमारी समस्या को बढ़ा दिया है। तकनीकी स्टाफ की भारी कमी है, पहले के कार्य से मुक्त नहीं किया जाता है और नया काम थोप दिया जाता है, कम्प्यूटर ऑपरेटर तो क्या चपरासी तक नहीं हैं फिर भी हम जैसे तैसे काम कर रहे हैं।
उपरोक्त वार्तालाप कलेक्टर दीपक सक्सेना के साथ जिले के तमाम बड़े अधिकारियों ने मंगलवार को किया। इन अधिकारियों में एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य शामिल थे। अधिकारियों ने राजस्व अधिकारी संघ के तहत कलेक्टर से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र भी सौंपा।
उन्हाेंने कहा कि वर्तमान में शासन द्वारा राजस्व महाभियान 2.0 चलाया जा रहा है। उक्त महाभियान को सभी राजस्व अधिकारियों ने गंभीरता पूर्वक लिया और उसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, किंतु व्यावहारिक समस्याओं को नजरअंदाज कर अत्यधिक दवाब बनाया जा रहा है जबकि सभी जानते हैं कि वर्तमान में टेक्निकल स्टाफ की कमी है, पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, कोई पदोन्नति नहीं, न ही अतिरिक्त कार्य का कोई वेतन, किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा नहीं है, वर्तमान में ऑफिस स्टाफ का सेटअप पूर्ण न होने से स्टाफ की माँग करने पर हमेशा नकार दिया जाता है।
राजस्व अधिकारियों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर दण्ड, भय, दवाब और प्रताड़ित करने की कार्रवाई कर प्रकरणों का निराकरण करने पर मजबूर किया जाता है। इससे सभी राजस्व अधिकारियों में तनाव, मानसिक अवसाद और बीमारियों से ग्रसित होकर हीनता महसूस की जा रही है।
इन दिनों ये समस्याएँ हैं सामने
पत्र में कहा गया है कि इन दिनों बाढ़ और प्राकृतिक आपदा का समय है, आरसीएमएस, वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर में हमेशा समस्या रहती है। ई-केवायसी जैसे कार्य स्थानीय निकाय से कराना चाहिए, अन्य विभागों के कार्य भी राजस्व विभाग को करने पड़ते हैं, कानून व्यवस्था का भी कार्य देखना होता है, प्रोटोकॉल में भी जाना पड़ता है।
हमारे साथ पटवारी, राजस्व निरीक्षक संवर्ग भी जल्दबाजी में प्रतिवेदन दे रहे हैं जो कि विधि सम्मत नहीं होता और एफआईआर दर्ज हो जाती है।
आपराधिक कृत्य किया जा रहा
राजस्व अधिकारियों ने कहा कि एलआरसी के विपरीत कार्य करना आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है तथा इसका दुष्प्रभाव भविष्य में जमीनी विवादों की वृद्धि करेगा एवं एमपीएलआरसी की धारा 31 न्यायालय का दर्जा प्रदान करती है और प्रक्रिया के पालन की अपेक्षा रखती है।
हमने विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी कराया और अब राजस्व अभियान में जुट गए हैं।