जबलपुर: भेड़ियों के ईकोलॉजी सिस्टम पर शुरू की गई रिसर्च, सामने आएँगे कई रोचक तथ्य
- एसएफआरआई के वैज्ञानिकों ने नौरादेही टाइगर रिजर्व से लगे 72 गाँवों में शुरू किया सर्वे
- गाँव के पास भेड़िए एक गाय के बछड़े की योजनाबद्ध तरीके से घेराबंदी करके शिकार करते हुए दिखे।
- भेड़िए खतरे के दौरान अपने कमजोर साथियों को अलर्ट करते हुए भी दिखे।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बाघ, लेपर्ड जैसे प्रथम श्रेणी के वन्य प्राणियों के जनजीवन पर रिसर्च करने के बाद एसएफआरआई के वैज्ञानिक अब मध्य प्रदेश में भेड़ियों के संरक्षण और ईकोलॉजी सिस्टम पर रिसर्च करेंगे।
केन्द्रीय वाइल्ड लाइफ से अनुमति मिलने के बाद एक टीम ने नौरादेही टाइगर रिजर्व में 72 गाँवों में सर्वे का काम शुरू कर दिया है। प्रदेश में पहली बार भेड़ियों पर किए जा रहा यह अनुसंधान इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसमें इनकी गणना व उनकी हर गतिविधि के साथ मनौवैज्ञानिक परिस्थितियों का भी पता लगाया जाएगा।
मसलन उन्हें कोर या बफर एरिया में रहना ज्यादा पसंद है, उनकी खुराक क्या और कितनी है, इसके अलावा रहन-सहन से प्रजनन की स्थिति जैसी तमाम छोटी-छोटी बातों को लेकर जानकारियाँ जुटाई जाएँगी।
कई महत्वपूर्ण फुटेज मिले
रिसर्च की शुरुआत में ही ट्रैप कैमरों में महत्वपूर्ण फुटेज मिले हैं, जिसमें एक गाँव के पास भेड़िए एक गाय के बछड़े की योजनाबद्ध तरीके से घेराबंदी करके शिकार करते हुए दिखे।
इसके अलावा कुछ ऐसी तस्वीरें मिलीं, जिनमें भेड़िए खतरे के दौरान अपने कमजोर साथियों को अलर्ट करते हुए भी दिखे।
वास्तविक संख्या का पता चलेगा | भेड़ियों की संख्या कम हुई या बढ़ी इस रिसर्च के माध्यम से नौरादेही में भेड़ियों की गणना का काम भी होगा। जिससे उनकी वास्तविक संख्या का भी पता चल सकेगा।
भेड़ियों के जनजीवन और गणना को लेकर हमारे वैज्ञानिक नौरादेही टाइगर रिजर्व में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान कर रहे हैं। प्रदेश में पहली बार इनको लेकर इस तरह की रिसर्च हो रही है। शुरुआती दौर में ही बेहद रोचक जानकारियाँ सामने आई हैं।
-रविन्द्रमणि त्रिपाठी, डिप्टी डायरेक्टर एसएफआरआई
मप्र में भेड़ियों के संरक्षण को लेकर एसएफआरआई जबलपुर के वैज्ञानिकों को रिसर्च की अनुमति दी गई है। इस तरह का अनुसंधान प्रदेश में पहली बार हो रहा है।
-शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्य प्राणी
कॉलर आईडी व ट्रैप कैमरे लगाकर होगी मॉनिटरिंग
इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज एसएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध मजूमदार ने बताया कि पूर्व में हुई गणना के अनुसार एमपी के जंगलों में भेड़ियों की संख्या करीब 770 है और नौरादेही टाइगर रिजर्व में 200 से 250 के बीच ये हो सकते हैं।
नौरादेही से लगे गाँवों में भी इनका मूवमेंट लगातार होता रहता है। इसलिए इस जगह को रिसर्च के लिए चिन्हित किया गया है। श्री मजूमदार के अनुसार एसएफआरआई के डायरेक्टर प्रदीप वासुदेवा की निगरानी में इस प्रोजेक्ट में नौरादेही टाइगर रिजर्व के डीएफओ एए अंसारी व उनकी टीम के साथ भेड़ियों के तीन बड़े झुंडों के मुखिया को रेस्क्यू के जरिए कॉलर आईडी पहनाई जाएगी।
इसके अलावा एक दर्जन से अधिक स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जिससे भेड़ियों की हर गतिविधि की जानकारियाँ जुटाई जा सकें।