जबलपुर: कॉलेजों में बंद हुए रजिस्ट्रेशन, अब होगा सीटों का आवंटन
- सीएलसी राउंड के पंजीयन में सर्वर डाउन होने से परेशान हुए छात्र
- कई बार सर्वर डाउन होने के कारण छात्र हलाकान हो रहे थे।
- मौसम के कारण ई-प्रवेश पोर्टल का सर्वर बार-बार धीमा हो रहा था।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कॉलेजों में एडमिशन की तीसरे चरण की प्रक्रिया रविवार को पूरी हो गई। रजिस्ट्रेशन करानेे पहुँचे छात्रों को आखिरी दिन होने के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। अपनी पसंद के कॉलेज चुनने में उन्हें परेशानी हो रही थी।
कई बार सर्वर डाउन होने के कारण छात्र हलाकान हो रहे थे। स्नातक स्तर के लिए प्रवेश की प्रक्रिया के लिए पंजीयन की आखिरी तारीख थी। ई-प्रवेश पोर्टल में कई बार तकनीकी खराबी आई जिस वजह से छात्र परेशान होते रहे।
किसी तरह से विद्यार्थियों ने पंजीयन की प्रक्रिया को पूरा किया। अब इंतजार है तो सीट आवंटन का। 12 जुलाई को उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से सीट आवंटित की जाएँगी, जिसके बाद 19 जुलाई तक विद्यार्थियों को फीस जमा कर प्रवेश लेना होगा।
अभी भी कई कॉलेजों में सीटें खाली
बताया गया है कि मौसम के कारण ई-प्रवेश पोर्टल का सर्वर बार-बार धीमा हो रहा था। अत्यधिक संख्या में जब छात्र पोर्टल पर आ रहे थे तब इसकी रफ्तार कम हो रही थी। पंजीयन की प्रक्रिया काॅलेज लेवल काउंसलिंग की हो चुकी है। कई कॉलेजों में तीसरे चरण की प्रक्रिया के बाद भी सीटें खाली हैं।
जैसे कि होमसाइंस काॅलेज में 1200 सीटें हैं जिसमें 568 सीटें अभी भर पाई हैं। मानकुंवर बाई कॉलेज में लगभग 1420 सीटों में से अभी 795 के लगभग सीटें ही भरी हैं। महाकौशल कॉलेज में 2264 में 1115 सीटें भरी हैं। हालांकि इन कॉलेजों में शेष सीटों पर प्रवेश होना बाकी है। इसी तरह अन्य काॅलेजों में भी 40 प्रतिशत से ज्यादा सीटें अभी रिक्त हैं।
नियम के कारण प्रवेश कम
सरकारी काॅलेजों में जहाँ बीए की सीट तेजी से भर रही हैं, वहीं निजी काॅलेजों को फीस की वजह से सीट भरना मुश्किल हो रहा है। एक काॅलेज संचालक ने कहा कि उनके यहाँ बीए की फीस दस हजार रुपये है लेकिन बीए में प्रवेश लेने वाले अधिकांश विद्यार्थी बहुत ही निम्न आय वर्ग से आते हैं ऐसे में उनके लिए हर साल किश्त में शुल्क जमा करने का विकल्प होता था।
इस बार शासन ने न्यूनतम पाँच हजार रुपये शुल्क जमा करने पर ही प्रवेश सुनिश्चित करने का नियम बना दिया है ऐसे में कई आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी जिनके नंबर भी कम हैं उनका प्रवेश निजी कॉलेजों में नहीं हो पा रहा है।