जबलपुर: मरीजों का हक छीनकर बनेगी आउटसोर्स सेंट्रल लैब, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में चिन्हित हुआ वार्ड
135 करोड़ से हुआ इंस्टीट्यूट का निर्माण, उद्घाटन से पहले ही निजी लैब काे जगह देने की तैयारी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज स्थित प्रदेश के इकलौते स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर मरीजों का हक छीनकर आउससोर्स सेंट्रल लैब बनाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए इंस्टीट्यूट में एक वार्ड चिन्हित किया गया है, जिसमें लैब बनाने के लिए जरूरी बदलाव किए जाएँगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लैब में लगने वाली एक मशीन इंस्टीट्यट में पहुँच भी गई है। इंस्टीट्यूट में 2 पुरुष और 2 महिला वार्ड हैं, जिनमें हमेशा ही मरीज भर्ती रहते हैं। एक-एक बेड के लिए मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। रोजाना 150 से 200 मरीज ओपीडी में आते हैं। ऐसे में एक पूरे वार्ड को लैब में बदलने से आने वाले वक्त में मरीजों के हिस्से में लंबा इंतजार और परेशानियाँ आना तय हैं। बताया जा रहा है कि 2 पुरुष वार्डों में से एक को लैब के लिए चुना गया है, जहाँ पूरे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आने वाले मरीजों की जाँच की जाएगी। इंस्टीट्यूट में सभी वार्डों को कैंसर पीड़ित मरीजाें के उपचार की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। ऐसे में जब इंस्टीट्यूट का विधिवत उद्घाटन भी नहीं हुआ, तब होने जा रही तोड़-फोड़ को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज की सभी पैथोलॉजी जाँचें आउटसोर्स एजेंसी से कराने का निर्णय लिया है, जिसके चलते जबलपुर में भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को लैब के लिए जगह उपलब्ध करानी थी लेकिन प्रबंधन ने आनन-फानन में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में ही जगह चिन्हित कर दी।
रोजाना 150 से 200 मरीज, घटा रहे क्षमता
जानकारों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेज के कैंसर हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। पहले जहाँ रोजाना 100 से 150 मरीज आते थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 200 तक पहुँच रही है। ऐसे में एक वार्ड कम होने के बाद बिस्तरों की संख्या फिर से घट जाएगी। शहर के लिए कैंसर इंस्टीट्यूट किसी सौगात से कम नहीं है, इसे बनाया ही इसलिए गया कि स्टेट ऑफ दी आर्ट कैंसर चिकित्सा मिले ताकि मरीज बाहर न जाएँ, ऐसे में इसकी क्षमता घटना ठीक नहीं है।
आँकड़ों में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट
135 करोड़ लागत
50 करोड़ से भवन निर्माण
85 करोड़ से अन्य संसाधन
2015 बनने की शुरुआत
200 बिस्तरों की संख्या
40 आईसीयू बेड
6 आधुनिक ऑपरेशन थियेटर
जिम्मेदार मौन
मामले को लेकर जब संभागायुक्त अभय वर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, वहीं मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. गीता गुइन ने भी फोन नहीं उठाया। इधर कैंसर अस्पताल की अधीक्षक डॉ. लक्ष्मी सिंगौतिया का कहना है कि आउटसोर्स लैब बनाने से जुड़ी जानकारी डीन के माध्यम से ही मिलेगी।
आएँगी अत्याधुनिक मशीनें, बढ़ेंगे मरीज
जानकारी के अनुसार 8 साल पहले स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की शुरुआत की गई और प्रोजेक्ट को 4 साल में पूरा करने का लक्ष्य भी रखा गया, हालाँकि प्रोजेक्ट के देरी के चलते ज्यादा समय लगा। वर्तमान स्थिति यह है कि भवन का निर्माण हो चुका है। बीते वर्ष से मरीजों को भर्ती कर उपचार भी दिया जाने लगा है। आने वाले समय में इंस्टीट्यूट में लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाई जानी है जोकि राज्य शासन द्वारा प्रदान की जानी है। अत्याधुनिक मशीनें आने के बाद मरीजों की संख्या और बढ़ेगी।
आउटसोर्स सेंट्रल लैब को लेकर कई तरह की चर्चा
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के शुरू की जा रहीं आउट सोर्स सेंट्रल लैब्स को लेकर कई तरह की चर्चाएँ हैं। लोगों का कहना है कि कुछ माह पहले चिकित्सा शिक्षा मंत्री द्वारा रेंटल रिएजेंट आधार पर लैब संचालन हेतु अनुबंध में अनियमितताएँ एवं गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद जाँच भी कराई गई थी। वहीं अब लैब सर्विसेस संचालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने एवं उनके प्रशिक्षण की तैयारी भोपाल स्तर पर की जा चुकी है। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा 28 नवंबर से प्रशिक्षण दिए जाने संबंधी आदेश जारी किया गया है।