जबलपुर: कठौंदा प्लांट में कचरा जलने के बाद दूर-दूर तक फैल रहे धूल के कण

  • आसपास एक से डेढ़ किमी के दायरे में फैला कचरा
  • दिल्ली से आई टीम ने भी माना अभी कलेक्शन से लेकर निष्पादन में सुधार की जरूरत
  • टीम ने कहा- जलने के बाद बची डस्ट दी जाए खदानों को

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 10:53 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में कठौंदा में स्थापित कचरा निष्पादन और ऊर्जा प्लांट में कचरे के विनष्टीकरण में अभी कई तरह की कमियाँ सामने आ रही हैं। दिल्ली से एनजीटी के आदेश पर आई टीम ने पिछले दिनों जब प्लांट का दौरा किया तो माना कि अभी इस प्लांट में कई स्तरों पर सुधार की जरूरत है।

विशेष तौर पर कचरे को जलाने के बाद जो धूल, कण हैं या मिट्टी है उसका सही तरीके से यहाँ पर निपटारा नहीं हो पा रहा है। कचरे की मिट्टी और धूल का अब ढेर लग रहा है, यह मानकों के विपरीत माना जाता है।

इसी तरह कुछ अन्य कमियाँ हैं जो कठौंदा कचरा प्लांट में बनी हुई हैं। कचरा प्लांट के आसपास जो बफर जोन है उसका पालन होना मुश्किल है क्योंकि बस्ती एकदम करीब होने से लोगों की सेहत पर भी प्रभाव संभव है।

पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आलोक जैन कहते हैं कि जो कचरे के बाद प्लांट के आसपास धूल मिट्टी के कण हैं उनको लेकर निर्देश दिए गए हैं कि उनको किसी खदान में दिया जा सकता है। मानकों का पालन यहाँ पर किया जाए इसके लिए विभाग ने निर्देश दिए हैं।

शुरुआत में देखरेख बाद में अनदेखी

लोगों का आरोप है कि कचरा प्लांट, एनर्जी प्लांट, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ ही डॉग हाउस, पिग हाउस और मृत पशुओं के निस्तारण के इंतजाम में शुरुआत में तो फिर भी आसपास देखरेख ठीक से होती थी लेकिन अब कुछ सालों से यहाँ होने वाली गंदगी और बदबू से आसपास के रहवासी क्षेत्रों में लोगों को परेशानी होने लगी है।

चारों तरफ प्रदूषण फैल रहा है जिससे हजारों लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने लगा है। कचरे का निष्पादन मानकों के अनुसार न होने से स्थिति खराब होने लगी है।

इससे मिल सकती है कुछ राहत

कचरे के निष्पादन, भण्डारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के आधार पर ही किया जाए तो जनता को राहत मिल सकती है। लोगों का कहना है कि ग्रीन सिटी, शिवाजी नगर, मदर टेरेसा नगर और आसपास की करीब एक दर्जन कॉलोनियों में कठौंदा प्लांट का असर देखा जा रहा है।

निगम के डॉग हाउस से आवारा श्वान कॉलोनियों में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे यहाँ अफरा-तफरी बनी रहती है। इधर इस तरह की समस्या नगर निगम, पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड का कहना है कि 500 मीटर के दायरे में कठौंदा के आसपास बफर जोन है इसमें प्रवेश वर्जित है। यदि बस्ती इसके करीब आती है तो लोगों को समस्याएँ हो सकती हैं।

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