जबलपुर: दिव्यांग बच्चों को लेकर भी लापरवाही "प्रशस्त’ का सिस्टम खुद लड़खड़ाया

आधे स्कूलों में तक पूरा नहीं हो पाया सर्वे, राज्य शिक्षा केंद्र ने लगाई फटकार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-22 09:49 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

दिव्यांग विद्यार्थियों की पहचान, उनकी पढ़ाई-लिखाई और बेहतर योजनाओं के लिए मददगार साबित होने वाले प्रशस्त एप से सर्वे का कार्य आधा-अधूरा ही रह गया है। जिले के 1752 स्कूलों में से अधिकांश में एप तक डाउनलोड नहीं हो सका। ऐसे में शिक्षा विभाग ने फटकार लगाते हुए गंभीरता बरतने की हिदायत दी है। समग्र शिक्षा अभियान आईईडी के अंतर्गत प्रशस्त मोबाइल एप से होने वाला सर्वे कार्य शुरू नहीं हो सका है। राज्य शिक्षा केंद्र ने जबलपुर के अलावा अन्य 22 जिलों के जिला परियोजना समन्वयकों से प्रशस्त एप का सर्वे कार्य न करने पर स्पष्टीकरण माँगा है।

15 सितंबर लास्ट डेट, अब तक नहीं पूरा

राज्य शिक्षा केंद्र ने इससे पहले जारी किए गए दिशा-निर्देश में प्रशस्त एप का प्रशिक्षण पूरा कर 15 सितंबर तक स्कूलों में सर्वे कार्य पूरा करने की बात कही थी, लेकिन जबलपुर में सर्वे कार्य पूरा नहीं हो सका। राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों ने इसे लापरवाही और अनुशासनहीनता करार दिया है।

1752 स्कूल, आधे भी रजिस्टर्ड नहीं

शिक्षा विभाग के अनुसार जबलपुर जिले में 1752 स्कूल हैं। जानकारों का कहना है कि हाल-फिलहाल तकरीबन 8 सौ स्कूलों का ही रजिस्ट्रेशन हो सका है। आँकड़ों के हिसाब से तस्वीर एकदम स्पष्ट है कि आधे से भी कम स्कूलों में पंजीयन हो पाया है। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसी आँकड़े पर लापरवाही जताई है।

एप में भी परेशानी

जिला शिक्षा केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि एप पर ऑनलाइन होने पर कई परेशानियाँ आ रही हैं। इस पर देशभर में काम हो रहा है। कई बार लोड ज्यादा होने की वजह से सर्वे में दिक्कत हो रही है। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में रहे, इस वजह से भी परेशानियाँ आईं।

इसलिए प्रशस्त एप

एप से स्कूल में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों की पहचान हो सकेगी और विभाग उनके लिए बेहतर योजना बना सकेगा।

एप में विभिन्न तरह की चेकलिस्ट दी गई हैं। स्कूलों की जानकारी के हिसाब से इसे प्रशिक्षित शिक्षकों को भरना होता है।

इसके माध्यम से दिव्यांगता स्पष्ट होती है। कई बच्चों को मानसिक समस्या भी होती है, उनकी पहचान भी इससे हो सकेगी।

एप पर जुटाए गए डाटा के हिसाब से दिव्यांग बच्चों के लिए जरूरी योजनाओं की प्लानिंग और क्रियान्वयन हो सकेंगे।

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