भवनों पर लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं मिल रही चिकित्सा सुविधा
ग्रामीण अस्पतालों में नहीं पहुंचते स्टॉफ
डिजिटल डेस्क,शहडोल।
जिले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं शासन की मंशानुरूप नहीं है। लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल भवन बनवा दिए गए, स्टॉफ क्र्वाटर भी बनवाए गए, लेकिन उनमें रहता कोई नहीं। यही कारण है कि अनेक जगहों के अस्पताल भवन व आवास बिना उपयोग के ही जर्जर हो चले हैं। विभाग के अनुसार स्टॉफ की कमी नहीं है। इसके बाद भी केंद्र सूने रहते हैं। ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए गांव में ही चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने जिले में 258 की संख्या में उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इनमें करीब 80 प्रतिशत केंद्रों के अपने खुद के भवन बन चुके हैं। इन प्रत्येक केंद्रों में एक-एक एएनएम की पदस्थापना के साथ 203 केद्रों में सीएचओ पदस्थ किए गए हैं। लेकिन जो केंद्र दूरांचल में हैं वहां स्टॉफ कभी कभार ही पहुंचता है। सिंहपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत उधिया में कई वर्ष पहले उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन बना। करीब 15 साल पहले नर्स क्वार्टर बना, लेकिन न तो अस्पताल में कोई एएनएम पहुंचती और न ही आवास में रहने को तैयार हुए। सीएचओ का भी पता नहीं। दोनों भवन अब जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। हालांकि उप स्वास्थ्य केंद्र का हाल ही में रंग रोगन कराया गया है। उप स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों का टीकाकरण कार्य कराया जाता है। साथ ही बीपी, शुगर आदि की जांच होती है। साथ ही टेलीकंसल्टेशन के जरिए मरीजों के लिए दवा दिए जाने की व्यवस्था है, लेकिन कर्मचारियों के गायब रहने से यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।
जल्द सुधरेंगी व्यवस्थाएं
स्वास्थ्य केन्द्रों में स्टॉफ की कमी नहीं है। सीएचओ भी हैं, यदि ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारियों द्वारा लापरवाही की जा रही है तो हिदायत देकर व्यवस्था में सुधार कराया जाएगा।
डॉ.आरएस पांडेय
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी