जबलपुर: लेजर थेरेपी से भरे तेंदुए के घाव, जल्द लौटेगा जंगल
पहली बार अभिनव प्रयोग: वेटरनरी विवि में वन्य प्राणी के इलाज में अपनाई नई तकनीक
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
गंभीर रूप से घायल होने वाले वन्य प्राणियों के उपचार को लेकर वेटरनरी विवि के वाइल्ड लाइफ सेंटर में तरह-तरह के प्रयोग होना आम बात है, लेकिन पहली बार घायल तेंदुए के इलाज में लेजर थेेरेपी का प्रयोग किया गया, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए हैं। सुबह-शाम होने वाली थेरेपी से तेंदुए के घाव तेजी से न सिर्फ भरे, बल्कि लकवाग्रस्त हो चुके पैरों में तेजी से हरकतें भी होने लगीं। आधा-किलो से ज्यादा की डाइट खा पाने में असमर्थ तेंदुआ अब दोनों टाइम में चार से पाँच किलो चिकिन खा रहा है। वेटरनरी विवि के कुलपति डॉ. एसपी तिवारी के निर्देशन में वाइल्ड लाइफ सेंटर की टीम और वन विभाग के कर्मचारी लगातार तेंदुए की देखरेख कर रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है, कि एक-दो सप्ताह में वह वापस जंगल लौटकर अपना प्राकृतिक जीवन जी सकेगा। उल्लेखनीय है कि करीब 10 दिन पूर्व मंडला के कान्हा नेशनल पार्क से लगे बमनी-बंजर में रोड किनारे पाँच साल का नर तेंदुआ घायल हालत में वन विभाग को मिला था। तेंदुए के पिछले पैरों में गंभीर घाव थे, जिसमें नीली मक्खियाँ और कई तरह के कीड़े अंदर तक जमे हुए थे। कान्हा की टीम उसे जबलपुर स्थित वेटरनरी विवि लेकर पहुँची थी, जहाँ विशेषज्ञों की टीम ने तेंदुए का उपचार शुरू किया था। तेंदुए के कई तरह के ब्लड टेस्ट हुए थे, जिसमें केनाइन डिस्टेम्पर नाम के वायरस के शरीर में प्रवेश करने को लेकर चिंता जताई जा रही थी। लेकिन ब्लड िरपोर्ट में केनाइन डिस्टेम्पर वायरस नहीं मिला था, जिसके बाद उसका उपचार शुरू किया गया था।