जबलपुर: ऑटो रिक्शा की धमाचौकड़ी आरटीओ, ट्रैफिक व पुलिस में समन्वय का अभाव
- याचिकाकर्ता ने पेश की रिपोर्ट, सरकार को जवाब के लिए मोहलत
- ऑटो को मॉडिफाई कर 15 सवारियों तक को बैठाया जा रहा है।
- अधिकतर ऑटो में कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट का पालन नहीं किया जा रहा है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। ऑटो रिक्शा की धमाचौकड़ी और उसके कारण अराजक ट्रैफिक व्यवस्था के मामले में कार्रवाई के सबंध में एक रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई। याचिकाकर्ता सतीश वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने दो दिन आरटीओ जबलपुर के साथ काम किया।
इस दौरान उन्होंने पाया कि आरटीओ, ट्रैफिक और पुलिस प्रशासन में समन्वय का अभाव है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि पूर्व में दिए गए आदेशों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। अभी भी सड़कों पर अराजकता है और ओवर लोडिंग रिक्शा दाैड़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में ई-रिक्शा की संख्या भी बढ़ गई है। इससे ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही है। उन्होंने बताया कि नागपुर में मुख्य मार्गों से ई-रिक्शा को बैन कर दिया गया है। डिप्टी एडवोकेट जनरल के अनुरोध पर जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
इसके पहले भी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बिना परमिट ऑटो रिक्शा संचालन के विरुद्ध कार्रवाई करने में हीलाहवाली पर नाराजगी जताई थी। याचिका में कहा गया िक ऑटो में निर्धारित तीन व्यक्ति से अधिक सवारियों को बैठाया जाता है।
ऑटो को मॉडिफाई कर 15 सवारियों तक को बैठाया जा रहा है। अधिकतर ऑटो में कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा रास्ते में ऑटो रोककर सवारियों को बैठाया व उतारा जाता है।
आरटीओ की ओर से पेश किए गए हलफनामे में ही यह बताया गया है कि शहर में 6 हजार से अधिक ऑटो बिना परमिट के चल रहे हैं। इसके बावजूद भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्यवाही रिपोर्ट पेश की गई है।