जबलपुर: 6 साल में गायब हो गई 107 करोड़ रु. की 52 हजार मीट्रिक टन धान

  • जिले के गोदामों का किराया चुकाने का पत्र जारी हुआ तो सामने आया मामला
  • किराए के 172 करोड़ रुपए अभी बाकी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-17 13:09 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक भंडारित धान के लिए गोदामों और कैपों का भंडारण शुल्क करीब 172 करोड़ 77 लाख 63 हजार 465 रुपए लेने के लिए मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स काॅर्पोरेशन के क्षेत्रीय कार्यालय ने मंडल प्रबंधक मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ संभाग जबलपुर यानी मार्कफेड को पत्र लिखा है।

इस पत्र में एक चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है कि इसी अवधि में भंडारित धान में 52 हजार 306 मीट्रिक टन की कमी आई है। इस कमी वाली धान की कीमत लगभग 107 करोड़ 65 लाख 48 हजार 610 रुपए है। 3 प्रतिशत से अधिक सूखत के लिए प्राथमिक रूप से जमाकर्ता संस्था एवं भंडारण संस्था द्वारा इस राशि को बराबर वहन किया जाएगा।

पत्र में उल्लेख है कि ओपन में भंडारित धान 2018-19 से 2021-22 तक 21908.470 मीट्रिक टन व गोदामों में 2018-19 से 2022-23 तक 30398.214 मीट्रिक टन की कमी दो प्रतिशत से अधिक परिलक्षित हुई है।

इस प्रकार धान भंडारण में कुल कमी 52306.470 मीट्रिक टन परिलक्षित हुई जिसकी डब्ल्यूएचआर के अनुसार कीमत राशि 107 करोड़ 65 लाख 48 हजार 610 रुपए है। प्रबंध संचालक एपीडब्ल्यूएलसी के पत्र के अनुसार धान भंडारण में 3 प्रतिशत सूखत मान्य करते हुए जमाकर्ता संस्था व भंडारण संस्था के मध्य देय राशि का आकलन किया जाए, 3 प्रतिशत से अधिक सूखत के लिए प्राथमिक रूप से जमाकर्ता और भंडारण संस्था द्वारा राशि बराबर वहन की जाए और उसके अनुसार ही शुल्क का भुगतान किया जाए।

इस प्रकार 2 प्रतिशत से अधिक सूखत कमी की राशि रुपए 107 करोड़ 65 लाख 48 हजार 610 रुपए की प्राथमिक रूप से जमाकर्ता व भंडारण संस्था द्वारा समानुपात में राशि 53 करोड़ 82 लाख 74 हजार 305 करोड़ वहन किया जाएगा। इस प्रकार कुल राशि 172 करोड़ 77 लाख 63 हजार 465 में से 53 करोड़ 82 लाख 74 हजार 305 रुपए कम करके 118 करोड़ 94 लाख 89 हजार 160 रुपए भंडारण शुल्क का भुगतान निगम को किया जाए।

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