Jabalpur News: बड़ा कोई भी बन सकता है, लेकिन अनमोल "रतन' सिर्फ एक
- उद्योगपति कैलाश गुप्ता ने साझा किए अनुभव, भावुक होकर बोले- सदियों तक चमकेगा उनके नाम का सितारा
- श्री टाटा का विजन अपनी कंपनी तक सीमित न होकर पूरे देश के लिए रहा।
- इकलौती ऐसी कंपनी दी जो बगैर किसी कोलैबोरेशन के कार निर्माण में रत है।
Jabalpur News: बात 90 के दशक की है। लिफ्ट के सामने कंपनी के कर्मचारियों की कतार थी। कंपनी के चेयरमैन वहाँ आते हैं और उसी पंक्ति में अपनी बारी का इंतजार करने लगते हैं। ऐसे में कर्मचारियों को भले ही असहजता महसूस हुई, लेकिन जन सामान्य की तरह आखिरी छोर पर खड़े होने की इसी सहजता ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन को बेहद जल्द "रतन' बना दिया। जबलपुर के उद्योगपति समाजसेवी कैलाश गुप्ता उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि, बड़ा कोई भी बन सकता है, लेकिन देश का अनमोल रतन सिर्फ एक ही है... रतन टाटा।
टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे रतन टाटा की सादगी के कई अनछुए पहलुओं पर रोशनी डालते हुए श्री गुप्ता बताते हैं कि हर साल कार-ट्रक कॉन्फ्रेंस के अलावा 6-7 बार करीब से उनकी शख्सियत को जानने के मौके मिले। हर बार...हर मुलाकात में उनमें जो सादगी और आत्मीयता दिखी, वह अद्वितीय रही।
वे खुद उठाते थे अपना बैग
अपने सामने हुए एक वाकये को साझा करते हुए श्री गुप्ता कहते हैं कि एयरपोर्ट पर टाटा ग्रुप के मैनेजर लगेज के लिए अपना असिस्टेंट रखते थे, लेकिन रतन टाटा ने अपने बैग का इंतजार किया और फिर खुद उसे उठाया। ऐसा कई बार देखने को मिला। यह उनके विरलतम व्यक्तित्व की पहचान है।
छोटी पंक्ति, मायने बड़े
मैं किसी के गिरने में हिस्सेदार नहीं बनना चाहता
श्री गुप्ता कहते हैं कि वे अक्सर यह भी कहते थे कि मैं किसी के गिरने में हिस्सेदार नहीं बनना चाहता, बल्कि मेरे कारण कोई न डूबे ऐसा इरादा रखता हूँ।
हमें आपकी फिक्र
व्यावसायिक उतार-चढ़ाव के दिनों को याद करते हुए श्री गुप्ता बताते हैं कि एक बार उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरे कुछ बोलने से पहले ही वे बोले, "आप अपनी चिंता ना करें, हमें खुद आपकी फिक्र है।
विजन देश के लिए
श्री टाटा का विजन अपनी कंपनी तक सीमित न होकर पूरे देश के लिए रहा। उन्होंने इकलौती ऐसी कंपनी दी जो बगैर किसी कोलैबोरेशन के कार निर्माण में रत है। श्री गुप्ता कहते हैं कि राष्ट्र निर्माण में उनके नाम को सदियों तक याद रखा जाएगा।