Jabalpur News: एनजीटी ने पाईं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्यों में भारी कमियाँ
- उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा
- राज्य सरकार पेश करे फ्रेश एक्शन टेकन रिपोर्ट
- दैनिक भास्कर की खबर पर लिया था संज्ञान
Jabalpur News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने जबलपुर सहित विभिन्न शहरों के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्यों में भारी अनियमितताएँ पाईं। दरअसल, राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट और एनजीटी द्वारा गठित उच्चस्तरीय जाँच कमेटी की रिपोर्ट में बहुत अंतर पाया गया।
दोनों रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जुडीशियल मेजिस्ट्रेट सुधीर अग्रवाल व डॉ. ए सेंथिल की संयुक्त पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को फ्रेश एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले पर अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को होगी। दरअसल, एनजीटी ने दैनिक भास्कर की खबर पर संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी।
जाँच समिति ने जबलपुर, रीवा, रतलाम व ग्वालियर जिलों की रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद एनजीटी ने पाया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों और जॉइंट कमेटी की रिपोर्ट में भारी अंतर है। वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का क्रियान्वयन बहुत ही दयनीय अवस्था में है और उसका रखरखाव भी सही तरीके से नहीं हो रहा है।
एनजीटी ने पाया कि बायो-रीमेडिकेशन और बायो-माइनिंग प्रक्रिया में भी भारी अनियमितताएँ हैं। इसी तरह सीवेज मैनेजमेंट के तहत कचरे का अपर्याप्त कलेक्शन व परिवहन हो रहा है। एसटीपी का उपयोग उनकी क्षमताओं के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। कई जगह पर बिना शोधन किए ही गंदा पानी नर्मदा नदी में मिल रहा है।
दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान एनजीटी ने जबलपुर शहर में पिछले 14 साल से लंबित स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम योजना पर आश्चर्य के साथ नाराजगी जताई थी। एनजीटी ने प्रोजेक्ट की ताजा स्थिति की जाँच के लिए उच्चस्तरीय जाँच कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, पर्यावरण विभाग के अधिकारी और जबलपुर कलेक्टर शामिल हैं। गौरतलब है कि दैनिक भास्कर में 20 मई 2024 को 'नालों के पक्का करने में पौने चार सौ करोड़ खर्च और वर्क अब भी अधूरा' शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। एनजीटी दिल्ली ने इस खबर पर संज्ञान लेकर मामले पर सुनवाई की थी।
ये किया कमेटी ने
एनजीटी के निर्देश पर कमेटी ने जल प्लावन और उसे रोकने नाला निर्माण कार्यों का परीक्षण किया। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और उसके उपयोग की क्षमता का परीक्षण किया। कमेटी ने इस बात का भी परीक्षण किया कि पूरे प्रोजेक्ट में अब तक कितना पैसा स्वीकृत हुआ है और कितना निवेश हुआ है। शहर के पेय जल स्रोतों के सैंपल भी इकट्ठा करके उसका परीक्षण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कराया गया।
ऐसी थी योजना
जबलपुर में नालों को पक्का करने का ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया था। इसके लिए टेंडर वर्ष 2010 को जारी हुआ। ढाई साल में इसको पूरा करके देने की शर्त थी पर अफसोस यह है कि 14 साल बाद भी प्रोजेक्ट में अभी वर्क बाकी है। 5 बड़े और 130 छोटे नालों को सीमेंटेड करना था। रिकॉर्ड के हिसाब से ही अभी 30 से 40 फीसदी काम बाकी है।