Jabalpur News: नेपाल हादसा, रोती हुई माँ बोली बच्चों की खातिर भीख तक माँगी
- काठमांडू में भारतीय दूतावास के अधिकारियों का व्यवहार ऐसा था, जिसे बयान करने में भी दर्द होता है।
Jabalpur News: जब हमें फँसे हुए दो दिन हो चुके थे और कहीं से मदद नहीं मिल रही थी, ऐसे में हमारे पास खाने की सामग्री समाप्त होने लगी, तब मैं वहाँ फँसे अन्य वाहनों के पास जाकर लोगों के हाथ जोड़ रही थी और अपने बच्चों के खाने के लिए कुछ माँग रही थी। किसी ने मना किया तो किसी ने बिस्किट और नमकीन दे दिया। ऐसे हमने अपने बच्चों के पेट भरे। वो दिन अब हमें इस जीवन में तो भुलाए नहीं भूलेंगे, लेकिन अपनों के दर्द भी कम नहीं थे।
काठमांडू में भारतीय दूतावास के अधिकारियों का व्यवहार ऐसा था, जिसे बयान करने में भी दर्द होता है। ऐसे अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए वरना किसी आपदा में फँसे लोगाें को फिर परेशानी होगी।
नेपाल बाढ़ हादसे से बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात सकुशल लौटे बरहैया परिवार की श्रीमती सोनिया बरहैया जब अपनी पीड़ा सुना रही थीं ताे उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे और सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। बाढ़ से तहस-नहस होतीं सड़कें, चीखने और चिल्लाने की आवाजें। जिसे देखो वही परेशान, कोई बीमार तो कोई परिजनों से सम्पर्क न होने से हलाकान। ऐसे लोगों की अपबीती सुनने के लिए भी कलेजा चाहिए।
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक डॉ. राकेश बरहैया तो अपनी थकान भी नहीं उतार पाए और ऑफिस चले गए। बेटे लवकुश और वानी की तबीयत खराब ऐसे में उनकी माँ ने ही माेर्चा सँभाला और लगातार बजते मोबाइल पर सभी को लौट आने की सूचना देते हुए चर्चा भी कर रही थीं।
विदेश में हमारा घर होता है दूतावास
डॉ. बरहैया ने बताया कि जब हमें हेलीकाॅप्टर की मदद से काठमांडू ले जाया गया, तो आगे के सफर में मदद के लिए हम भारतीय दूतावास पहुँचे, तो वहाँ काउंसलर आरपी सिंह का व्यवहार देख सभी क्रोधित हो गए। लगा ही नहीं कि हम विदेश में अपने घर पहुँचे हैं।
दूतावास में तो अपनों की फीलिंग आनी चाहिए थी लेकिन वहाँ तो ऐसा लगा कि हमें गलत जगह भेजा गया है। चाय-पानी तो दूर परिजनों को काफी देर तक गेट के अंदर तक नहीं जाने दिया गया। इनसे अच्छे तो नेपाल के अधिकारी थे। श्रीमती बरहैया का कहना है कि हम पर ईश्वर की कृपा है जो पूरा परिवार सकुशल लौट आया। जब हम फँसे थे तो पूरे समय हम जाप ही करते थे।
यह भी चमत्कार ही था कि हेलीकॉप्टर से हमें बहुत जल्दी काठमांडू पहुँचा दिया गया वरना इसमें भी कई दिन लग सकते थे।