Jabalpur News: जन्मतिथि पर संशय के चलते हाई कोर्ट ने आरोपी की शेष सजा की निलंबित
- राज्य शासन सहित अन्य को नाेटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।
- रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद आरोपी की शेष सजा को निलंबित कर उसे जमानत पर रिहा करना उचित है।
Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीड़िता की जन्मतिथि पर संशय को लेकर दुष्कर्म के आरोपी की शेष सजा निलंबित कर दी। जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद आरोपी की शेष सजा को निलंबित कर उसे जमानत पर रिहा करना उचित है।
जबलपुर निवासी विलियम नार्बट की ओर से अधिवक्ता राकेश कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत विशेष कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2023 को 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने दलील दी कि पीड़िता की माँ ने घटना के 5 माह तक कोई कार्रवाई नहीं की थी। पीड़िता ने स्वयं माँ को फोन कर बताया था कि वह विलियम के साथ है और उसी के साथ रहना चाहती है।
उन्होंने बताया कि सब रजिस्ट्रार ग्राम पंचायत द्वारा 9 मार्च 2008 को जारी जन्म प्रमाण-पत्र संशयास्पद है। स्कूल की शिक्षिका ने भी अपने बयान में कहा कि वर्ष 2010 में स्कूल में प्रवेश के दौरान बर्थ सर्टिफिकेट जमा नहीं किया गया था। पीड़िता के माता-पिता की शादी 2002 में हुई थी और पीड़िता का जन्म 2003 में हुआ था। इस तरह 2021 में हुई घटना के समय वह वयस्क थी।
आठवीं बटालियन के उप निरीक्षक से रिकवरी पर राेक-मप्र हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आठवीं बटालियन में पदस्थ उप निरीक्षक से रिकवरी पर रोक लगा दी, साथ ही राज्य शासन सहित अन्य को नाेटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।
जबलपुर निवासी मेहमान सिंह परतेती की ओर से अधिवक्ता प्रमेंद्र सेन व प्रवीण सेन ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति छिंदवाड़ा में हुई थी, वर्तमान में वह जबलपुर में पदस्थ है। कमांडेंट ने उसके विरुद्ध ब्याज सहित एक लाख 34 हजार 273 रुपये की रिकवरी निकाल दी, जिसके बाद से प्रतिमाह पाँच हजार रुपये की वेतन से कटौती की जाने लगी, जिसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने 17 जुलाई, 2024 को अभ्यावेदन दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा, हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।