Jabalpur News: जिला अस्पताल में फिर एमआरआई मशीन लगाने की योजना

  • 5 माह पहले थी तैयारी, जगह चिह्नित होने के बाद भी ठेका कंपनी ने पीछे खींचे थे हाथ, एक बार फिर जगी उम्मीद
  • अंतिम निर्णय कंपनी के इंजीनियर की विजिट के बाद ही होगा।
  • जिला अस्पताल में एमआरआई सेंटर बनने के बाद मरीजों के सामने एक और विकल्प होगा।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-03 14:09 GMT

Jabalpur News: जिला अस्पताल विक्टोरिया में एक बार फिर एमआरआई मशीन लगाने की योजना है। दरअसल कुछ माह पहले जबलपुर समेत प्रदेश के 5 जिला अस्पतालों में एमआरआई मशीन लगाने का ठेका एक निजी कंपनी को दिया गया।

विक्टोरिया अस्पताल में उक्त कंपनी के निरीक्षण के बाद जगह भी चिह्नित कर ली गई थी, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। एमआरआई मशीन के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उसने हाथ पीछे खींच लिए और पूरी योजना ही खटाई में पड़ गई।

ऐसा किसलिए हुआ, यह सामने नहीं आया लेकिन अब एक बार फिर एमआरआई मशीन लगाने को लेकर तैयारियाँ हो रही हैं। जानकारी के मुताबिक यह वही कंपनी है जिसे पिछली मर्तबा एमआरआई मशीन लगाने का काम मिला था। इस बार जबलपुर जिला अस्पताल समेत भोपाल और इंदौर जिला अस्पताल में मशीन लगाई जानी है।

जगह को लेकर भी चर्चा हुई है, लेकिन अंतिम निर्णय कंपनी के इंजीनियर की विजिट के बाद ही होगा। जिले में फिलहाल शासकीय स्तर पर केवल नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ही मरीजों को एमआरआई की सुविधा मिल रही है, वहीं जिला अस्पताल में एमआरआई सेंटर बनने के बाद मरीजों के सामने एक और विकल्प होगा।

3.5 से 5 करोड़ तक लागत डेढ़ टेस्ला की क्षमता

जानकारी के अनुसार एमआरआई मशीन डेढ़ टेस्ला की क्षमता वाली होगी, जो कि एक बड़ी क्षमता है। इसके बोर का आकार भी बड़ा होगा। इसकी लागत 3.5 से 5 करोड़ की बीच होगी। इसे कंपनी वहन करेगी। सीटी स्कैन सेंटर की तरह ही सरकार द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप के तहत इसे बनाया जा रहा है।

एमआरआई के लिए मेडिकल कॉलेज जाते हैं मरीज

जिला अस्पताल में एमआरआई सेंटर बनने के बाद मरीजों को नेताजी सुभाषचंद्र बाेस मेडिकल कॉलेज तक नहीं जाना पड़ेगा। ऐसे मरीज जो निजी सेंटर का खर्च नहीं उठा सकते, उन्हें शहर के बीचों-बीच शासकीय स्तर पर एमआरआई की सुविधा मिलेगी। रांझी, मानेगाँव, अधारताल जैसे क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को दूर नहीं जाना पड़ेगा। मेडिकल कॉलेज दूर होने के चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती थी।

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