Jabalpur News: इमरजेंसी वार्ड में फर्श पर मरीज तड़पता रहा, नहीं मिले डॉक्टर

  • जिला अस्पताल में सामने आया मामला ड्यूटी से गायब डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए प्रबंधन ने लिखा पत्र
  • मौके पर केवल नर्सिंग स्टाफ था, लेकिन कोई चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं था।
  • शासन के विरोध में इतना अंधा भी नहीं होना चाहिए कि मरीज की जान की परवाह न रहे।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-21 13:48 GMT

Jabalpur News: जिला अस्पताल विक्टोरिया में ड्यूटी पर होने के बाद भी एक चिकित्सक के गायब रहने का मामला सामने अाया है। चिकित्सक के न रहने से इमरजेंसी वार्ड में पहुँचे मरीज को उपचार नहीं मिल पाया। मजबूरन परिजन उसे मेडिकल ले गए। इस घटना से जुड़ा एक वीडियो भी वायरल हुआ है। जिसमें मरीज फर्श पर लेटा हुआ दिखाई दे रहा है और परिजन चिकित्सक के न होने पर हंगामा कर रहे हैं।

घटना गुरुवार रात की बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार उड़िया मोहल्ले में हुए झगड़े में एक व्यक्ति घायल हो गया था, जिसे परिजन जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुँचे। मौके पर केवल नर्सिंग स्टाफ था, लेकिन कोई चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं था।

इसके बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया और मरीज को मेडिकल लेकर चले गए। सूचना मिलते ही सिविल सर्जन भी मौके पर पहुँचे, लेकिन तब तक परिजन मरीज को लेकर जा चुके थे। चिकित्सक न होने के चलते सिविल सर्जन ने स्वयं रात की शिफ्ट में ड्यूटी की। चिकित्सक की लापरवाही सामने आने के बाद प्रबंधन द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।

जिसकी ड्यूटी थी वो बीमार जिनको आना था वो गायब

प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार की रात कैजुअल्टी वार्ड में डॉ. वाहिदा कुरैशी की ड्यूटी थी। रात में तबियत खराब होने के चलते उन्होंने डॉ. आयुष तिवारी को उनकी जगह ड्यूटी करने के लिए कहा था। डॉ. आयुष से बात होने के बाद डॉ. वाहिदा चली गईं, लेकिन डॉ. आयुष ड्यूटी पर नहीं पहुँचे। इसी बीच परिजन घायल को लेकर पहुँच गए और चिकित्सक न होने पर हंगामा शुरू कर दिया। संबंधित चिकित्सक से जब फोन पर संपर्क किया गया तो फोन बंद था। घायल के सिर मंे चोट थी। हैड इंजरी का मामला देखते हुए मरीज को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।

सेवा से पृथक करने लिखा पत्र सिविल सर्जन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने बताया कि डॉ. आयुष तिवारी की सेवाएँ सीएमएचओ कार्यालय के अधीन हैं। लिहाजा गंभीर लापरवाही को देखते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, डिग्री डिरिकग्नाइज करने, अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और जाँच बैठाकर सेवा सेे पृथक किए जाने हेतु पत्र लिखा है।

डॉ. आयुष पूर्व में भी ऐसा कर चुके हैं और तब उन्हें वाॅर्निंग दी गई थी। वहीं घायल मरीज को फर्श पर लिटाकर वीडियो बनाने और राजनीति करने वाले लोगों की भी निंदा की जानी चाहिए। शासन के विरोध में इतना अंधा भी नहीं होना चाहिए कि मरीज की जान की परवाह न रहे।

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