Jabalpur News: नशे के इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप का धड़ल्ले से किया जा रहा उत्पादन
- जनहित याचिका में आरोप हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर एवं नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो से माँगा जवाब
- याचिका में माँग की गई कि उक्त प्रतिबंध का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाए।
- इस तरह के कफ सिरप मानव एवं पशुओं दोनों के लिए खतरनाक हैं।
Jabalpur News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि नशे के इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप का धड़ल्ले से उत्पदान एवं विक्रय हो रहा है।
मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली के डायरेक्टर जनरल खाद्य एवं औषधि प्रशासन भोपाल के ड्रग कंट्रोलर एवं डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। मामले पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।
जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने याचिका दायर कर बताया कि केन्द्र सरकार ने 2 जून 2023 को अधिसूचना जारी कर क्लोफेनिरामाइन व कोडीन के संयुक्त डोज वाले कफ सिरप के उत्पादन, वितरण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद विभिन्न कंपनियाँ बेखौफ होकर इनका उत्पादन कर रही हैं।
दरअसल, इनका इस्तेमाल नशे के कारोबार के लिए किया जा रहा है। इस तरह के कफ सिरप मानव एवं पशुओं दोनों के लिए खतरनाक हैं। अधिवक्ता गुप्ता ने बताया कि प्रतिबंध की अधिसूचना के बाद से अब तक करीब 40 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। इससे ही यह स्पष्ट है कि अभी भी इनका उत्पादन हो रहा है। सरकार की नाकामी के चलते ही ये एफआईआर हो रही हैं।
जिम्मेदार बने है लापरवाह
केन्द्र सरकार की उक्त अधिसूचना के तहत इस तरह की गतिविधियों पर मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर, ड्रंग इंस्पेक्टर और नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों की है। याचिका में कहा गया कि इन अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
जिम्मेदार अधिकारी उन कंपनियों पर कार्रवाई नहीं करते हैं, जो इन प्रतिबंधित ड्रग का उत्पादन कर बाजार में उतारती हैं। याचिका में माँग की गई कि उक्त प्रतिबंध का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाए।